Manipur Violence: मणिपुर के फुटबॉलर ने बयां किया अपना दर्द, बोले- 'हिंसा ने मेरा घर, मेरा सपना, सब कुछ छीना'
Manipur Violence: भारत के फुटबॉलर चिंगलेनसाना सिंह मणिपुर के उन लोगों में से एक हैं, जिनके घर पर लूटपाट की वारदात को अंजाम दिया गया और फिर घर को जला दिया गया.
Manipur Violence: भारत के फुटबॉलर चिंगलेनसाना सिंह मणिपुर के उन लोगों में से एक हैं, जिनके घर पर लूटपाट की वारदात को अंजाम दिया गया और फिर घर को जला दिया गया. चिंगलेनसाना सिंह का कहना है कि उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया. जानकारी के लिए आपको बता दें कि मणिपुर में 3 मई को हुई हिंसा के बाद से हालात सही नहीं है. कुकी और मैतई समुदाय के बीच काफी विवाद चल रहा है.
हिंसा वाले दिन था केरल के खिलाफ मैच -
रिपोर्ट के मुताबिक जिस दिन हिंसा हुई उस दिन चिंगलेनसाना सिंह हैदराबाद के लिए एएफसी कप प्ले-ऑफ खेल रहे थे. ये मुकाबला केरल के खिलाफ था. मुकाबले के बाद जब वह ड्रेसिंग रूम में घुसे तो उन्होंन देखा कि उनके फोन पर मैसेज और मिस कॉल्स की बाढ़ आई हुई है, ऐसे चिंगलेनसाना सिंह को हिंसा के बारे में पता चला.
वहीं चुराचांदपुर जिले के खुमुजामा लीकाई के रहने वाले चिंगलेनसाना सिंह ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि, "हिंसा ने हमसे सब कुछ छीन लिया है, जो कुछ हमने कमाया था, जो कुछ हमारे पास था. मैंने हमारे घर को जलाए जाने की खबर सुनी और फिर चुराचांदपुर में मेरे द्वारा बनाया गया फुटबॉल मैदान भी जला दिया गया. यह सचमुच दिल तोड़ने वाला था."
फिर से शुरुआत करेंगे -
चिंगलेनसाना सिंह मणिपुर चले गए और अपने माता-पिता से संपर्क किया. चिंगलेनसाना सिंह ने बताया कि, "युवाओं को एक मंच प्रदान करने का मेरा बड़ा सपना था, लेकिन इसे छीन लिया गया. सौभाग्य से मेरा परिवार हिंसा से बच गया और एक रिलीफ कैंप में रहने लग गया". 27 वर्षीय फुटबॉलर आगे कहते हैं कि, "हम फिर से शुरू करेंगे." चिंगलेनसाना सिंह का परिवार उन हजारों लोगों में है, जिन्होंने अपने घरों को छोड़ दिया और वह राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं, और चाहते हैं कि उन्हें एक नई शुरुआत मिले.
सुर्खियों में है मणिपुर -
आपको बता दें कि 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन के प्रोटेस्ट निकालने के बाद हिंसा हुई थी. वह मैतई के एसटी में शामिल होने की मांग के खिलाफ थे. मणिपुर में हुई इस हिंसा में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है. वहीं सैकड़ों लोग राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं. विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर इन दंगों को लेकर निशाना साध रही हैं.