Paralympic में सोने से खुला भारत का खाता, कौन हैं गोल्ड मेडल लाने वाली अवनी लेखरा?
Paralympic Games 2024: अवनी लेखरा ने पैरालिंपिक खेलों में भारत को पहला पदक दिलाया है. उन्होंने विमेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग की SH1 कैटेगरी में पैरालिंपिक रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता. अवनी ने 249.7 का स्कोर किया जो एक नया पैरालिंपिक रिकॉर्ड है. इससे पहले का पैरालिंपिक रिकॉर्ड 249.6 भी अवनी के नाम था, जिसे उन्होंने टोक्यो में स्थापित किया था.
Paralympic Games 2024: अवनी लेखरा ने पैरालंपिक खेलों में भारत के लिए पहला पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. उन्होंने विमेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग की SH1 कैटेगरी में पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया. अवनी ने 249.7 का स्कोर किया, जो कि पैरालंपिक का नया रिकॉर्ड है. इससे पहले का पैरालंपिक रिकॉर्ड 249.6 भी अवनी ने ही टोक्यो में बनाया था. यानी भारत का खाता उन्होंने अपना रिकॉर्ड तोड़कर ही खोला है. इसके साथ ही भारत को इसी मुकाबले में मोना अग्रवाल ने 228.7 स्कोर करते हुए ब्रॉन्ज मेडल दिलाया है.
10 मीटर एयर राइफल शूटिंग की SH1 कैटेगरी में अवनी लेखरा के बाद कोरिया की युनरी ली ने 246.8 स्कोर के साथ सिल्वर मेडल जीता है. वहीं भारत की मोना अग्रवाल ने 228.7 स्कोर करते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. क्वालिफिकेशन राउंड में अवनी दूसरे और मोना पांचवें स्थान पर रही थीं. अब फाइनल में उन्होंने पहले तीसरे स्थान पर आकर देश को गर्भ से भर दिया है.
कौन हैं अवनी लेखरा?
पैरा शूटर अवनी लेखरा पैरा ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट हैं. SH1 कैटेगरी में 10 मीटर एयर राइफल की शूटर हैं. उन्होंने टोक्यो पैरा ओलंपिक में इसी श्रेणी में स्वर्ण पदक हासिल किया था. SH1 श्रेणी उन राइफल शूटरों के लिए होती है. इसमें निचले अंगों में चोट या पैराप्लेजिया जैसी समस्या होती है. लेकिन वे अपनी बंदूक को आसानी से पकड़ सकते हैं.
12 साल की उम्र में हादसा
अवनी लेखरा का जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर, राजस्थान में हुआ. वे एक साधारण परिवार से आती हैं. 2012 में, 12 साल की उम्र में, एक कार दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई, जिससे उन्हें पैरालिसिस हो गया. इस हादसे ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया. हालांकि, अवनी ने इसे अपनी कमजोरी बनने नहीं दिया बल्कि इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया.
अवनी ने अपनी स्कूली शिक्षा जयपुर के केंद्रीय विद्यालय से पूरी की और इसके बाद राजस्थान से कानून की पढ़ाई की. उनकी बेहतरीन खेल उपलब्धियों के कारण, राजस्थान सरकार ने उन्हें सहायक वन संरक्षक के रूप में आउट ऑफ टर्न नियुक्त किया है.
खेल ने दी नई दिशा
दुर्घटना के बाद अवनी ने खेल को अपने जीवन का नया रास्ता चुना. उन्हें अभिनव बिंद्रा की आत्मकथा से प्रेरणा मिली और वो निशानेबाजी में रुचि दिखाने लगीं. अपनी मां और कोच की सहायता से इस क्षेत्र में में आगे बढ़ीं. उन्होंने अपने आपको निखारा और 2015 में पहली बार राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया. दृढ़ निश्चय ने उन्हें 2020 के टोक्यो पैरा ओलंपिक में पहुंचा दिया. यहां उन्होंने भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया.
2020 के टोक्यो पैरा ओलंपिक में गोल्ड के साथ उन्होंने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन SH1 इवेंट में उन्होंने कांस्य पदक भी जीता था. 2022 में अवनी ने पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीतकर फिर से श्रेष्ठता साबित की. उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें खेल रत्न पुरस्कार, यंग इंडियन ऑफ द ईयर, और पद्मश्री से सम्मानित किया गया.