सुपरस्टार रजनीकांत ने विश्व शतरंज चैंपियन डी गुकेश को यादगार तोहफा देकर चौंकाया - देखें तस्वीरें
भारत के युवा शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश ने हाल ही में फिडे विश्व चैम्पियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र के शतरंज चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। इस शानदार जीत के बाद उन्हें साउथ के सुपरस्टार्स रजनीकांत और शिवकार्तिकेयन से जमकर सराहना मिली। रजनीकांत ने उन्हें खास तोहफा भी दिया। लेकिन ये सफलता सिर्फ गुकेश की मेहनत का नहीं, उनके परिवार के समर्थन और त्याग का भी नतीजा है। जानें, गुकेश की इस सफलता के पीछे की दिलचस्प कहानी और उनके संघर्ष के बारे में!
Rajnikanth Congratulates Gukesh: 18 साल के शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश ने हाल ही में फिडे विश्व चैम्पियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर इतिहास रच दिया। वह अब सबसे कम उम्र के शतरंज विश्व चैंपियन बन गए हैं। इस अविश्वसनीय सफलता के बाद, उन्हें अपनी मेहनत और जज्बे के लिए न सिर्फ शतरंज की दुनिया से, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के बड़े सितारों से भी भरपूर समर्थन मिला।
रजनीकांत और शिवकार्तिकेयन से मिली सराहना
गुकेश ने अपनी इस ऐतिहासिक जीत के बाद फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार रजनीकांत और अभिनेता शिवकार्तिकेयन से मुलाकात की। रजनीकांत ने उन्हें विशेष रूप से शॉल और योगानंद की किताब 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी' भेंट की। इस शानदार उपहार और शुभकामनाओं के लिए गुकेश ने सोशल मीडिया पर उनका धन्यवाद किया। साथ ही, शिवकार्तिकेयन के साथ भी समय बिताने और उनके साथ मुलाकात करने का अनुभव साझा किया। उन्होंने लिखा, "वह अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद हमारे साथ समय बिताने के लिए बहुत दयालु थे, और हमसे बहुत आनंद लिया।"
इतिहास में नाम दर्ज करने वाली जीत
गुकेश की यह उपलब्धि और भी खास है क्योंकि उन्होंने महज 18 साल की उम्र में सिंगापुर में फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के 14वें मैच में चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराया। इस जीत के साथ, गुकेश ने शतरंज के महान खिलाड़ी गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ा, जिन्होंने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था।
गुकेश की सफलता के पीछे का संघर्ष
गुकेश की सफलता उसके और उसके परिवार की कड़ी मेहनत और त्याग का परिणाम है। उनके माता-पिता, डॉ. रजनीकांत (जो एक ईएनटी सर्जन हैं) और पद्मा (जो एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं), ने उनके शतरंज करियर को आगे बढ़ाने के लिए बहुत त्याग किया। गुकेश के कोच विष्णु प्रसन्ना ने बताया था कि गुकेश के माता-पिता ने अपना करियर लगभग छोड़ दिया था, ताकि वह अपने बेटे के सपने को पूरा कर सकें।
2024: गुकेश के करियर का शानदार साल
2024 गुकेश के लिए अब तक का सबसे बेहतरीन साल रहा है। उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय ने उन्हें शतरंज की दुनिया में एक नया मुकाम दिलवाया है। गुकेश की सफलता न सिर्फ उनके लिए, बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक गर्व की बात है। यह जीत न केवल उनकी प्रतिभा का प्रतीक है, बल्कि यह उस समर्पण और कठिनाई का भी प्रतीक है, जो उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए झेली है।