Sourav Ganguly Birthday: दादा के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड जैसी टीमों को मात दे चुका है भारत, जन्मदिन पर पढ़ें बेहद दिलचस्प किस्सा
Sourav Ganguly Birthday: सौरव गांगुली आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस खास दिन पर पूर्व BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली को फैंस सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार बधाई और शुभकामनाएं देते हुए नजर आ रहे हैं.
Sourav Ganguly Birthday: भारतीय क्रिकेट में अब तक एक से बढ़कर एक कई बेहतरीन कप्तान देखने को मिले हैं, इसमें एक नाम सौरव गांगुली का भी शामिल है. जब भारतीय टीम साल 2000 में फिक्सिंग के भंवर में फंसी हुई थी, तो उस समय सौरव गांगुली ने कप्तान बनने के साथ टीम को इस अंधेरे से निकाला था.
सौरव गांगुली आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस खास दिन पर पूर्व BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली को फैंस सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार बधाई और शुभकामनाएं देते हुए नजर आ रहे हैं. सौरव गांगुली ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत साल 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे में डेब्यू के साथ किया था. इसके बाद सौरव गांगुली को अगले मौके के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ा था.
गांगुली को साल 1996 में इंग्लैंड के दौरे पर टेस्ट फॉर्मेट में डेब्यू करने का मौका मिला और अपने पहले ही टेस्ट मैच में गांगुली ने शतक लगाकर खुद के बारे में सभी को संदेश भी दे दिया था. गांगुली के नेतृत्व में भारतीय टीम ने इंग्लैंड को उसी के घर पर शिकस्त देने के अलावा ऑस्ट्रेलिया को भी उसके घर पर मात देना शुरू किया था.
गांगुली ने साल 1999 के विश्व कप में खेली रिकॉर्ड 183 रनों की तूफानी पारी -
गौरतलब हो कि साल 1999 के वनडे विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ मुकाबले में सौरव गांगुली के बल्ले से 183 रनों की ऐतिहासिक पारी देखने को मिली. उस समय गांगुली की 158 गेंदों का सामना करते हुए खेली गई 183 रनों की तूफानी पारी विश्व कप के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी पारी थी.
अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को सिखाई दादागिरी -
वहीं साल 2000 में जब सौरव गांगुली को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया, तो टीम एक बदलाव के दौर से गुजर रही थी. उस समय टीम में कई नए युवा खिलाड़ियों को शामिल किया गया था, जिसमें वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान और मोहम्मद कैफ जैसे अहम खिलाड़ी शामिल थे. गांगुली ने अपने नेतृत्व में ना सिर्फ इन सभी खिलाड़ियों को मौका दिया, बल्कि एक बड़ा स्टार खिलाड़ी भी बनाया.
गांगुली के नेतृत्व में साल 2002 में भारतीय टीम ने पहली बार ICC चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया था. इसी साल भारतीय टीम ने सौरव गांगुली की दादागिरी भी लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर देखी, जब भारत ने नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को उसी के घर पर मात दी थी. यहां से फैंस को भारतीय टीम का एक बेखौफ अंदाज मैदान पर देखने के लिए मिलना शुरू हुआ.
जब रोक दिया कंगारुओं का विजयी रथ -
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया टीम का सामना करना और मात देना 90 के दशक से लेकर अब तक किसी भी टीम के लिए आसान काम नहीं रहा है, मगर भारतीय टीम ने ये करके दिखाया है. सौरव गांगुली की कप्तानी में जब भारतीय टीम 4 मैचों की सीरीज खेलने ऑस्ट्रेलिया पहुंची तो वहां पर टेस्ट सीरीज में 1 मुकाबला जीतने में सफल रही.
यह उस समय विदेशी दौरों को देखते हुए भारतीय टीम के लिए एक बड़ी जीत मानी गई. इसके अलावा घर पर गांगुली की कप्तानी में ही भारतीय टीम ने कंगारू टीम के लगातार 16 टेस्ट जीत के विजयी रथ को भी रोकने का काम किया था.
संन्यास के बाद बतौर BCCI अध्यक्ष निभाई अहम जिम्मेदारी -
वहीं सौरव गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद क्रिकेट प्रशासक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को निभाया. इसमें उन्होंने BCCI (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) के अध्यक्ष के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी को निभाया है. अभी फिलहाल वह इंडियन प्रीमियर लीग फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स के लिए निदेशक की भूमिका निभा रहे हैं.