दो बार किडनी बदलने के बाद वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स 2023 में जीता सोना

धर्मेंद्र कुमार सोती उस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी का नाम है जिन्होंने दो बार किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स 2023 में  बैडमिंटन में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता है।

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दिलीप झा संगम

धर्मेंद्र कुमार सोती उस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी का नाम है जिन्होंने दो बार किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स 2023 में  बैडमिंटन में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता है। निश्चित रूप से यह सुनते हर भारतीय सोती के जज्बे को सलाम करने के लिए बाध्य हो जाता है। कहा जाता है कि समर्पण और जोश आपके अंदर है तो किसी मुकाम को हासिल करने से कोई आपको नहीं रोक सकता। ऐसी चाहत वाले शख्स के सामने लाख अड़चन आए लेकिन वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन रात को एक कर देते हैं। क्योंकि उनका मकसद करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बनने का होता है। कल्पना कीजिए, जिस व्यक्ति का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ हो और वह अंतरराष्ट्रीय गेम्स में एक बार नहीं पांच बार मेडल जीता हो, उसमें कितना जोश हाई रहा होगा। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि सौम्य व्यक्तित्व के धनी धर्मेंद्र सोती आज कोरोड़ों युवा भारतीय के लिए आइकन हैं जिन्हें अपने जीवन में कुछ कर गुजर जाने तमन्ना है। सोती कम उम्र से ही खेल के प्रति उत्साही रहे हैं। बैडमिंटन के प्रति उनका रुझान इतना अधिक था कि उन्होंने अप्रैल 2023 में एकल मुकाबले में गोल्ड जीतकर यह एहसास करा दिया कि जीतने की जिद होनी चाहिए। मुकाबला चाहे कितना बड़ा क्यों न हो खिलाड़ी के जोश के आगे वह कहीं टिक नहीं पाता। 13 वर्ष की उम्र में सोती को बैडमिंटन खेल के प्रति जो रुझान पैदा हुआ वह 50 की आयु में भी बरकरार है। है न रोचक कहानी।  वर्ष 1987 में सोती को पहली बार नेशनल स्कूल गेम्स खेलने का अवसर मध्य प्रदेश के तत्कालीन शहर दुर्ग में मिला था जिसमें वह प्रथम विजेता बने। इसके बाद से ही उन्होंने बैडमिंटन के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करने की जिद ठान ली।  15 राष्ट्रीय स्तर के गेम्स में भाग लिया और कई बार पुरुस्कार जीत कर अपने राज्य उत्तर प्रदेश का नाम पूरे देश में गौरवान्वित किया। सोती रुकने वाले कहां थे।

खेल जगत को बहुत प्रोत्साहन मिला

धर्मेंद्र कुमार सोती वर्तमान में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो लखनऊ में अधीक्षक के पद पर तैनात हैं। उनकी बहाली स्पोर्ट्स कोटे से ही इस विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर हुई थी। केंद्रीय नारकोटिक्स वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है। सोती कहते हैं कि विभाग के उच्च अधिकारियों का मैं शुक्रगुजार हूं। उनके प्रोत्साहन और सहयोग के कारण ही मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर इतने सारे मेडल जीत पाया हू। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल 2014 से अभी तक  खेल जगत को बहुत प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने वर्ष 2013 में सोती ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में बैडमिंटन के युगल मुकाबले में सिलवर मेडल जीत कर भारत को गौरवान्वित किया। जीत का सिलसिला यहीं तक नहीं रुका। वर्ष 2015 में अर्जेंटीना में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में सोती ने दो मेडल जीत कर भारत का नाम विश्व में रोशन कर दिया। उन्होंने देश के लिए बैडमिंटन के युगल मुकाबले में गोल्ड मेडल और एकल में सिलवर मेडल जीता। वर्ष 2017 में स्पेन में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में सोती ने ब्राउंज जीत कर भारत का एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान बढ़ाया।

परिवार का प्रेम भी प्रेरणादायी

 दुर्भाग्य से 2001 में उनकी एक किडनी खराब हो गई  लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। सोती के परिवार का प्रेम भी  प्रेरणादायी है। उनके बीच वाले भाई अवधेश कुमार सोती ने उन्हें किडनी डोनेट कर यह हौसला दिया कि भैया आपको अभी खेलना है। बदकिस्मती से वर्ष 2019 में खिलाड़ी सोती की दूसरी किडनी भी खराब हो गई। इस बार उनके साले नितिन द्विवेदी ने विवाहित होने के बाद भी किडनी देकर उनकी न केवल जान बचाई बल्कि उन्हें खेल के जुनून को निरंतर जारी रखने के लिए प्रेरित किया। पारिवारिक प्रेम की इसी भावना से ओतप्रोत होकर सोती ने खेल से अपने को हमेशा जोड़े रखा और यही कारण है कि पिछले महीने 15 अप्रैल से 21 तक ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स 2023 में  बैडमिंटन के एकल मुकाबले में गोल्ड जीत कर करोड़ों युवाओं को प्रेरित किया। सोती ने अपने मेडल को भाई और साले को समर्पित किया है।  

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परिवार का बड़ा योगदान

सोती ने बताया कि परिवार के सहयोग बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते हैं। उनके जीवन में माता-पिता एवं भाइयों के अलावा उनकी पत्नी शालिनी सोती का बड़ा योगदान है। उन्होंने हमेशा खेलने के लिए प्रेरित किया। उनके पिता महाराज किशोर सोती यूपीपीसीएल में ज्वाइंट सेक्रेटरी पद पर तैनात थे। उन्होंने बालक सोती को जीवन के पथ पर अपनी इच्छा से कदम आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

वर्ष 1978 से  हो रहा आयोजन

वर्ष 1978 से वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स का आयोजन होता आ रहे हैं। इस खेल का आयोजन हर दो साल बाद होता है। ऑर्गन इंडिया को वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स फेडरेशन द्वारा भारत से आधिकारिक सदस्य संगठन के रूप में नियुक्त किया गया है। वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स फेडरेशन एक विश्वव्यापी संगठन है जिसमें साठ से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व है जो अद्वितीय और प्रेरक कार्यक्रमों के माध्यम से सफल प्रत्यारोपण और जीवन के उपहार का जश्न मनाते हैं। First Updated : Wednesday, 03 May 2023