'इलेक्शन और पार्टी ने ली मेरी बेटी की जान', हिमानी नरवाल की मां ने लगाए गंभीर आरोप, जानें और क्या बोलीं

घटना को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच मृतका की मां सविता ने कहा कि चुनाव और पार्टी ने उनकी बेटी की जान ले ली. उन्होंने कहा कि हिमानी पार्टी से निराश हो चुकी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि इलेक्शन और पार्टी ने बेटी की जान ले ली. इसकी वजह से उसने कुछ दुश्मन बना लिए. ये पार्टी से भी हो सकते हैं, उसके दोस्त भी हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि 28 फरवरी को हिमानी घर पर थी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

हरियाणा के रोहतक के सांपला बस स्टैंड के पास शुक्रवार को  एक सूटकेस में लड़की का शव मिला. मृतका की पहचान हिमानी नरवाल के रूप में हुई. वह एक कांग्रेस कार्यकर्ता थी. कांग्रेस ने बताया कि मृतका पार्टी की कार्यकर्ता थी जो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ थी . वह हरियाणा कांग्रेस प्रमुख भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा की करीबी भी थी.

इलेक्शन और पार्टी ने बेटी की जान ले ली: हिमानी की मां

घटना को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच मृतका की मां सविता ने कहा कि चुनाव और पार्टी ने उनकी बेटी की जान ले ली. उन्होंने कहा कि हिमानी पार्टी से निराश हो चुकी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि इलेक्शन और पार्टी ने बेटी की जान ले ली. इसकी वजह से उसने कुछ दुश्मन बना लिए. ये पार्टी से भी हो सकते हैं, उसके दोस्त भी हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि 28 फरवरी को हिमानी घर पर थी.

हिमानी की मां ने यह भी कहा कि हिमानी का कद बढ़ रहा था. वह राहुल गांधी के साथ जा रही थी, वह हुड्डा परिवार के करीब थी, इसी वजह से लोगों को परेशानी हो रही थी, वे ईर्ष्या कर रहे थे.

आशा हुड्डा ने मेरा फोन नहीं उठाया: सविता

उन्होंने कहा कि उन्हें पुलिस स्टेशन से फोन आया था. सविता ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता आशा हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा की पत्नी ने हिमानी की मौत के बाद उनका फोन नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि हिमानी पार्टी से निराश थीं और पार्टी के लिए काम न करके कोई नौकरी करना चाहती थीं. 

हिमानी नौकरी करना चाहती थी

हिमानी की मां ने कहा कि मेरी बेटी आशा हुड्डा (भूपिंदर सिंह हुड्डा की पत्नी) के बहुत करीब थी. जब तक हिमानी को न्याय नहीं मिल जाता, मैं उसका अंतिम संस्कार नहीं करूंगी. हां पारिवारिक विवाद था, हम थोड़े डर में रहते थे. मैं अपने बेटे को यहां से बीएसएफ कैंप में ले गई. 2011 में मेरे बड़े बेटे की हत्या कर दी गई. लेकिन हमें अभी तक न्याय नहीं मिला. इसलिए, मैं उसकी जान बचाने के लिए दूसरे बेटे को बीएसएफ कैंप में ले गई. चुनाव के बाद वह पार्टी से थोड़ी निराश थी. उसने कहा कि वह नौकरी चाहती है और पार्टी के लिए ज्यादा काम नहीं करना चाहती. वह पिछले 10 सालों से कांग्रेस से जुड़ी हुई थी. मेरी बेटी शादी करने के लिए भी मान गई थी. मैंने सुबह आशा हुड्डा को फोन किया, लेकिन मेरा कॉल रिसीव नहीं हुआ. 

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02 March 2025, 03:59 PM IST

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