'मुफ्त की रेवड़ियों' ने राज्य का किया बंटाधार, अब इस सरकार ने बिजली सब्सिडी देने में जताई असमर्थता
हिमाचल प्रदेश में अभी 125 यूनिट बिजली सब्सिडी दी जाती है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने चुनाव के दौरान 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था. अभी तक यह प्रॉमिस पूरा नहीं हुआ है. बिजली बोर्ड पर 90 हजार करोड़ का कर्ज है.
चुनाव-प्रचार और बड़े-बड़े वादे...वादे हैं वादों का क्या? ये पंक्तियां आज की राजनीति की हकीकत बन गई हैं. देश में चुनाव के समय 'फ्री की रेवड़ियां' बांटने का दौर चल रहा है. हर एक राज्य में सत्तासीन पार्टियां हों या फिर विरोधी दल हर कोई सत्ता पर काबिज होने के लिए चुनावों में मुफ्त की रेविड़ियां बांटने में व्यस्त हैं. लेकिन सत्ता पर बैठते ही राज्य की वित्तीय हालत देखकर चुनावी वादों के उलट हकीकत देखने को मिलती है. ऐसा ही कुछ हो रहा है हिमाचल प्रदेश में.
हिमाचल प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पुरानी पेंशन स्कीम यानी ओपीएस, फ्री बिजली, महिलाओं को राशि और युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने के बड़े-बड़े वादे किए. लेकिन ढाई साल बीत जाने के बाद हकीकत कुछ और ही है. हिमाचल की सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है. कभी टॉयलेट पर टैक्स लगाया जाता है तो कभी कर्मचारियों की सैलरी लेट हो जाती है. इतना ही नहीं अब हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह सुक्खू लोगो से बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रहे हैं. खुद सुक्खू ने बिजली सब्सिडी छोड़कर बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है.
आपको बता दें कि हिमाचल में अभी 125/घर बिजली सब्सिडी दी जाती है. लेकिन कांग्रेस ने चुनाव के समय 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया था. अभी तक यह वादा पूरा नहीं हुआ है.
क्यों की बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील
मुख्यमंत्री सुक्खू का सब्सिडी बचाकर राज्य बिजली बोर्ड को घाटे से उबारना चाहते हैं. अगर राज्य के लोगों ने बिजली सब्सिडी छोड़ दी तो इससे बोर्ड को 200 करोड़ का फायदा होगा. बोर्ड वित्तीय संकट से जूझ रहा है और उस पर 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. सरकार बिजली सब्सिडी पर सालाना 2,200 करोड़ रुपये और हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबी) के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर 200 करोड़ रुपये मासिक खर्च करती है.
वित्तीय समस्याओं से निपटने के लिए सरकार पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई सब्सिडी की समीक्षा कर रही है और उनके वित्तीय प्रभाव का आकलन करने के बाद कुछ सब्सिडी को वापस लेना शुरू कर दिया है. राज्य ने होटलों और बड़े वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को लाभ पहुंचाने वाली 14 सब्सिडी की पहचान की है, जिन्हें तर्कसंगत बनाया जाना है.