ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं, मस्जिद को लेकर सीएम योगी का बड़ा बयान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश के चारों कोनों में आध्यात्मिक पीठों की स्थापना करने वाले आदि शंकर की काशी में की गई साधना के समय भगवान विश्वनाथ द्वारा ली गई परीक्षा के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं, वह ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी ही हैं.

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी को लेकर विवाद सालों से चाला आ रहा है. मुस्लिम पक्ष इसे मस्जिद होने का दावा करता है. तो वहीं हिंदू पक्ष इसे मंदिर परिसर होने का दावा करता है. इसे लेकर कोर्ट में मामला भी चल रहा है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा बयान दिया है. सीएम योगी ने कहा कि ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं, लेकिन असल में ज्ञानवापी साक्षात ‘विश्वनाथ’ ही हैं.

एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि आचार्य आदि शंकर अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए जब काशी में आए तो यहां पर साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही. बाबा विश्वनाथ एक दिन प्रातःकाल जब ब्रह्म मुहूर्त में आदि शंकर गंगा स्नान के लिए गंगा नदी में जा रहे होते हैं तो वहां सबसे अधूत कही जाने वाले एक सामान्य व्यक्ति के रूप में वह उनके सामने खड़े हो जाते हैं.”

'चंडाल की बात सुनकर चौंक गए आदि शंकर’

इतना ही  नहीं  सीएम ने आगे कहा कि तब स्वाभाविक रूप से उनके मुंह से निकलता है, हटो मेरे मार्ग से हटो. इस पर सामने से वह चंडाल आदि शंकर से एक सवाल पूछता है कि आप तो अपने आप को अद्वैत ज्ञान का विशेषज्ञ मानते हैं. आप किसको हटाना चाहते हैं, आप का ज्ञान क्या इस भौतिक काया को देख रही है. या फिर इस भौतिक काया के अंदर बसे हुए ब्रह्म को देख रही है. अगर ब्रह्म सत्य है तो जो ब्रह्म आपके अंदर है वहीं ब्रह्म मेरे अंदर भी है. इस ब्रह्म सत्य को जानकर अगर आप इस ब्रह्म को ठुकरा रहे हैं तो इसका मतलब आपका ये ज्ञान सत्य नहीं है. चंडाल की मुंह से यह बात सुनकर आदि शंकर भौचक रह गए.

'मैं उसका साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं'

मुख्यमंत्री योगी ने आगे कहा कि आश्चर्य में पड़े आदि शंकर ने पूछा कि आखिर आप कौन हैं. मैं यह जानना चाहता हूं. तो उन्होंने कहा कि आप जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए, दुर्भाग्य से वो ज्ञानवापी आज दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं. लेकिन वो ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं. जिस ज्ञानवापी की उपासना के लिए आप केरल से चलकर यहां आए हैं, मैं उसका साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं.

‘भौतिक अस्पृश्यता समाज के लिए बाधक’

आगे उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ का जवाब सुनकर आदि शंकर उनके सामने नतमस्तक होते हैं. साथ ही उन्हें इस बात का पश्चाताप भी होता है कि ये जो भौतिक अस्पृश्यता है यह न केवल साधना की मार्ग की सबसे बड़ी बाधा बनती है बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भी सबसे बड़ी बाधा है. अगर इस बड़ी बाधा को हमारे समाज ने समझा लिया होता तो यह देश कभी गुलाम नहीं हुआ होता.
 

First Updated : Saturday, 14 September 2024