'एक वोट की कीमत तुम क्या जानों', इन 10 सीटों पर सिर्फ कुछ वोटों से MLA रह जाते हैं पीछे
Haryana Assembly Elections: चुनाव में एक वोट की कीमत क्या होती है, यह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी से बेहतर कौन जान सकता है. 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में वह एक वोट से हार गए थे, जिससे न केवल वह विधायक बने, बल्कि मुख्यमंत्री बनने का मौका भी गंवा दिया. हरियाणा में भी कई नेताओं को इस बात का अनुभव है. हरियाणा की 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जीत-हार का अंतर 100 वोट से भी कम रहा है. इन सीटों पर उम्मीदवारों की धड़कन बढ़ जाती है.
Haryana Assembly Elections: चुनाव में एक वोट की कीमत क्या होती है, यह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी से बेहतर कौन जान सकता है. 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में वह एक वोट से हार गए थे, जिससे न केवल वह विधायक बने, बल्कि मुख्यमंत्री बनने का मौका भी गंवा दिया. हरियाणा में भी कई नेताओं को इस बात का अनुभव है. हरियाणा की 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जीत-हार का अंतर 100 वोट से भी कम रहा है. इन सीटों पर उम्मीदवारों की धड़कन बढ़ जाती है.
हरियाणा का राज्य गठन 1967 में हुआ था, और तब से अब तक 13 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. 14वीं विधानसभा के लिए शनिवार को वोटिंग होगी. 1977 से 2019 के बीच हुए चुनावों में 10 सीटें ऐसी हैं, जहां जीत-हार का अंतर 100 वोट से कम रहा. इनमें राई, घरौंडा, रोहट, नारनौंद, दादरी, अटेली, यमुनानगर, साढ़ौरा और रेवाड़ी शामिल हैं. यहां जीत का अंतर तीन से 86 वोट तक रहा है.
एक-एक वोटों की कीमत इन नेताओं से पूछिए
हरियाणा के नेताओं से पूछें एक-एक वोट की कीमत के बारे में. 2014 के चुनाव में राई सीट पर कांग्रेस के जयतीर्थ ने इनेलो के इंद्रजीत को सिर्फ 3 वोट से हराया था. इसी तरह, 2005 में घरौंडा सीट पर इनेलो की रेखा राणा ने कांग्रेस के जयपाल शर्मा को 21 वोट से हराया. 1996 में भी घरौंडा सीट पर जीत का अंतर 11 वोट था.
कम अंतर से बिगड़ा था सियासी गेम
1991 के चुनाव में रोहट सीट पर कांग्रेस के हुकुम सिंह ने जनता दल के महेंद्र सिंह को 38 वोट से हराया. नारनौंद में भी 38 वोट का अंतर रहा. दादरी में हरियाणा विकास पार्टी के धर्मपाल सिंह ने 80 वोट से जीत हासिल की थी.
1982 में यमुनानगर में जीत का अंतर 63 वोट था और साढ़ौरा में 10 वोट से हार-जीत हुई. 1977 के रेवाड़ी चुनाव में जनता पार्टी के कर्नल रामसिंह ने 86 वोट से जीत दर्ज की.
2019 के चुनाव में भी कई सीटों पर जीत-हार का अंतर 10 हजार वोट से कम था. सिरसा सीट पर गोपाल कांडा ने सिर्फ 602 वोट से जीत हासिल की थी.
2024 में एक-एक वोट के लिए हो रहा संघर्ष
2024 के चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन बसपा, इनेलो, जेजेपी, और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में हैं. जिन नेताओं को कांग्रेस और बीजेपी से टिकट नहीं मिला है, वे भी बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में एक-एक वोट के लिए उम्मीदवारों को मेहनत करनी पड़ रही है, क्योंकि कई नेता बहुत मामूली वोटों से हार गए हैं.