दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएजी रिपोर्ट पर विचार करने में देरी के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस सचिन दत्ता की एकल पीठ ने कहा कि सरकार ने विधानसभा सत्र को रोकने के लिए "अपने कदम खींचे." अदालत ने कहा, "जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है. आपको तुरंत रिपोर्ट स्पीकर को भेजनी चाहिए थी और सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी."
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को सीएजी रिपोर्ट भेजने में की गई देरी और सरकार द्वारा मामले को जिस तरह से संभाला गया, उससे "आप की ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है." अदालत को दिए गए जवाब में आप सरकार ने सवाल उठाया कि चुनाव इतने करीब आने पर विधानसभा सत्र कैसे बुलाया जा सकता है.
दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने हाईकोर्ट में रखा तर्क
दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया है कि फरवरी में विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है. अब कैग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा. सचिवालय ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की 14 रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किए जाने के मामले में सीएजी रिपोर्ट पेश करने के मुद्दे पर सात भाजपा विधायकों की याचिका के जवाब में कही है.
सचिवालय ने कहा कि संविधान के तहत सदन का संरक्षक होने के नाते विधानसभा की बैठक बुलाने का स्पीकर का विवेकाधिकार उसके आंतरिक कामकाज का हिस्सा है. यह किसी भी न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है. अब विधानमंडल की उत्तराधिकारी लोक लेखा समिति (पीएसी) कानूनी ढांचे के अनुसार रिपोर्टों की जांच कर सकती है, जिसका चुनाव आगामी चुनावों के बाद अगली विधानसभा करेगी. वहीं दूसरी ओर हालही में उपराज्यपाल ने अपने जवाब में कहा था कि हाईकोर्ट को स्पीकर से तुरंत रिपोर्ट सदन के समक्ष पेश करने का निर्देश देने का अधिकार है. उन्होंने ऑडिट रिपोर्ट पेश करने में असाधारण देरी की ओर इशारा किया.
बीजेपी विधायकों ने की थी शिकायत
कोर्ट कहा कि दिल्ली के लोग विधानसभा में अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से सीएजी रिपोर्ट तक पहुंच पाने के हकदार हैं. इसलिए कोर्ट मुख्यमंत्री और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को तुरंत एक-दूसरे से परामर्श करने और सदन को फिर से बुलाने के निर्देश जारी करें. विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने पिछले साल याचिका दाखिल कर कहा था कि एक मामले में पारित आदेश के बावजूद स्पीकर को आगे की कार्रवाई के लिए सीएजी की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है.
First Updated : Monday, 13 January 2025