FCI गोदाम में दफनाए गए 145 बंदरों के शव, क्या है मौत की सच्चाई?
UP News: हाथरस के एफसीआई गोदाम में 145 बंदरों की मौत से हड़कंप मच गया है. बताया जा रहा है कि बंदरों ने जहर खा लिया, लेकिन बिना प्रशासन को सूचित किए, उनके शव गोदाम में दफन कर दिए गए. जब हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया, तो प्रशासन ने जांच शुरू कर दी. क्या यह सिर्फ लापरवाही थी या कुछ और? पढ़ें पूरी खबर!
145 Monkeys Found Dead in Hathras: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 145 बंदरों की रहस्यमय मौत ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है. यह घटना कलवारी रोड स्थित एफसीआई गोदाम में हुई, जहां बंदरों की मौत के बाद उन्हें बिना प्रशासन को सूचित किए गोदाम के परिसर में ही गड्ढा खोदकर दफन कर दिया गया. इस पर जब मामला सामने आया तो प्रशासन और पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है.
साल्फास की गोलियां खाने से हुई मौत?
शुरुवात के जांच में पता चला कि इन बंदरों की मौत उस वक्त हुई, जब उन्होंने गोदाम में रखी गेहूं की दवाइयों या फिर सल्फास की गोलियों को खा लिया. बताया जा रहा है कि गोदाम में गेहूं के साथ सल्फास की गोलियां भी रखी जाती थीं. इन जहरीली गोलियों के सेवन से 145 बंदर मारे गए. गोदाम के कर्मचारियों ने घटना की सूचना वन विभाग और प्रशासन को नहीं दी और बंदरों के शवों को गोदाम परिसर में ही गड्ढा खुदवाकर दफना दिया.
एफसीआई गोदाम में हुए हंगामे के बाद शुरू हुई जांच
जब हिंदूवादी संगठनों के कुछ कार्यकर्ताओं को इस घटना की जानकारी हुई, तो उन्होंने एफसीआई गोदाम पहुंचकर हंगामा मचा दिया. उनका आरोप था कि एफसीआई के प्रबंधक बंदरों की संख्या को छुपा रहे हैं. उनका कहना था कि बंदरों की संख्या 7-8 नहीं, बल्कि 145 थी. इसके बाद प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एडीएम, पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों की टीम भेजी, जिन्होंने गोदाम के कर्मचारियों से पूछताछ की. अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में 145 बंदरों की मौत हुई है और उनका शव गोदाम परिसर में दफनाया गया.
एफसीआई प्रबंधक का बयान और हनुमान चालीसा का पाठ
एफसीआई गोदाम के प्रबंधक ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि वहां केवल 7-8 बंदरों की मौत हुई थी, जिनकी आत्मा की शांति के लिए वह हनुमान चालीसा का पाठ कराएंगे. हालांकि, जब हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई, तो प्रशासन ने मामले की गहराई से जांच करने का फैसला किया. अब प्रशासन की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर जरूरत पड़ी, तो गोदाम के दफनाए गए स्थान की खुदाई भी कराई जाएगी.
दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
इस घटना ने एक बार फिर से वन्यजीव संरक्षण और सार्वजनिक स्थानों पर सावधानी की जरूरत को लेकर सवाल उठाए हैं. जहां एक ओर कुछ लोग इसे लापरवाही मानते हैं, वहीं कुछ का कहना है कि यह घटना साफतौर पर मानव और प्रकृति के रिश्ते में मौजूद खामियों को उजागर करती है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है और बंदरों की मौत के जिम्मेदार लोगों को किस तरह से दंडित किया जाता है.