खेलते-खेलते जल गए 4 मासूम, चाईबासा के इस हादसे ने पूरे गांव को रुला दिया

झारखंड के चाईबासा में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जहां पुआल में खेल रहे चार मासूम बच्चों की आग में जलकर मौत हो गई. यह घटना गांववालों के सामने घटी, लेकिन कोई भी उन्हें बचा नहीं सका. हादसे के बाद पूरे गांव में मातम पसर गया है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. आखिर कैसे लगी आग? क्या यह महज एक हादसा था या किसी बड़ी लापरवाही का नतीजा? जानिए पूरी कहानी...

Aprajita
Edited By: Aprajita

Jharkhand: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गीतिलिपि गांव से एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई है. सोमवार सुबह 11 बजे के करीब खेलते-खेलते चार मासूम बच्चे जलकर मौत के मुंह में समा गए.

गांव में रखे पुआल (भूसे) के ढेर में अचानक लगी आग ने चारों बच्चों को अपनी चपेट में ले लिया. जब तक लोग कुछ समझ पाते और उन्हें बचाने की कोशिश करते, तब तक चारों की जान जा चुकी थी. इस हादसे के बाद गांव में मातम पसर गया है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.

खेल-खेल में गई चार मासूमों की जान

मृतक बच्चों की पहचान प्रिंस चातार (5 वर्ष), साहिल सिंकू (5 वर्ष), रोहित सुंडी (2 वर्ष) और भूमिका सुंडी (5 वर्ष) के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि बच्चे रोजाना पुआल के घर में खेलते थे. हादसे के वक्त गांव की एक महिला बिरंग गगराई पानी भरने आई थी, तभी उन्होंने देखा कि पुआल से धुआं उठ रहा है और उसमें बच्चे फंसे हुए हैं. उन्होंने शोर मचाया और बच्चों को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन आग इतनी तेज थी कि कोई भी उन्हें बाहर नहीं निकाल सका.

कैसे लगी आग, रहस्य बरकरार

फिलहाल आग लगने की असल वजह साफ नहीं हो पाई है. गांव के लोगों का कहना है कि बच्चे खेलते वक्त किसी तरह पुआल में आग लग गई होगी, लेकिन कुछ लोग शॉर्ट सर्किट या किसी और वजह की आशंका भी जता रहे हैं. पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर आग कैसे लगी.

मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन

हादसे की खबर मिलते ही प्रशासन भी तुरंत हरकत में आया. घटनास्थल पर एसडीओ महेंद्र छोटन उरांव, सीओ मनोज कुमार मिश्रा, बीडीओ सत्यम कुमार, थाना प्रभारी संजय सिंह और इंस्पेक्टर बासुदेव मुंडा पुलिस बल के साथ पहुंचे. आग बुझाने के लिए दमकल विभाग की गाड़ी भी मौके पर पहुंची और काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया.

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

मृत बच्चों में से दो की मां उस वक्त जंगल गई हुई थी, जबकि अर्जुन चातार और सुखराम सुंडी नाम के दो पिता भुवनेश्वर में काम करते हैं. जैसे ही उन्हें हादसे की खबर मिली, परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. गांव के लोग भी इस हादसे से सदमे में हैं और पूरे इलाके में गम का माहौल है.

गांव में पसरा सन्नाटा, सुरक्षा के इंतजाम पर उठे सवाल

इस दर्दनाक घटना के बाद ग्रामीणों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. गांव में सुरक्षा के बेहतर इंतजाम क्यों नहीं थे? क्या प्रशासन को इस तरह की संभावित घटनाओं को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहिए? इस हादसे ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमें अपने आसपास के माहौल को कितना सुरक्षित बनाने की जरूरत है, खासकर जब बात बच्चों की हो. फिलहाल, पुलिस मामले की जांच में जुटी है और प्रशासन की ओर से मृतकों के परिवारों को मदद देने की भी बात कही गई है. लेकिन इन मासूमों की जान अब कोई वापस नहीं ला सकता.

calender
17 March 2025, 06:19 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो