अंतिम सांस गिन रहा नक्सलवाद! 21 दिनों में 48 नक्सलियों का खात्मा, 2026 तक नक्सल मुक्त बनेगा भारत
Chhattisgarh Naxal Encounter: भारत में नक्सलवाद की समस्या एक लंबे समय से जड़ें जमाए हुए थी, लेकिन अब स्थिति में बदलाव आने के संकेत मिल रहे हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में सुरक्षाबलों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए नक्सलियों के खिलाफ सफलता हासिल की है. 2025 के पहले महीने में ही 48 नक्सलियों का सफाया कर दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अब नक्सलवाद अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है.

Chhattisgarh Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद अब अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है. 2025 के पहले महीने में ही सुरक्षाबलों ने 48 नक्सलियों को ढेर कर दिया है. यह सफलता न केवल सुरक्षाबलों की रणनीतिक सफलता को दर्शाती है, बल्कि केंद्र सरकार की योजना के तहत नक्सलवाद से मुक्त भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी है.
मोदी सरकार भारत को नक्सल मुक्त बनाने के लिए ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. इस साल के अंत तक, 88 नए सुरक्षा कैंप बस्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे, जो नक्सलवाद पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाएंगे.
नक्सलियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई
2025 की शुरुआत से ही, सुरक्षाबलों ने नक्सलवादियों के खिलाफ ऑपरेशन को और तेज कर दिया है. 19 जनवरी से 20 फरवरी तक चले एनकाउंटर में 24 नक्सलियों को मार गिराया गया. इससे पहले बीजापुर में 10 नक्सली मारे गए थे, और इस दौरान हर दिन औसतन 2 से ज्यादा नक्सलियों का सफाया किया गया. आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में 290 नक्सलियों को मुठभेड़ में मारा गया था, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 50 था.
नक्सल मुक्त भारत की ओर एक और कदम
केंद्र सरकार का लक्ष्य 2026 तक भारत को नक्सल मुक्त बनाना है, और इस दिशा में सरकार ने मजबूत कदम उठाए हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 तक 290 सुरक्षा कैंप नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगाए गए थे. 2024 में इनकी संख्या 58 और बढ़ाई गई थी, और 2025 में 88 नए कैंप स्थापित करने की योजना है. इन कैंपों का उद्देश्य नक्सलवादियों पर काबू पाना और विकास के नए रास्ते खोलना है, ताकि नक्सलवाद फिर से पनपने का कोई मौका न मिले.
विकास के साथ नक्सलवाद का सफाया
सरकार का मानना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के साथ-साथ विकास को भी तेज करना होगा. जब तक यह इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं का विस्तार नहीं होगा, तब तक नक्सलवाद को पूरी तरह से समाप्त करना मुश्किल होगा. सरकार का कहना है कि नक्सलियों को मुख्यधारा में लाना जरूरी है, या फिर उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे. इस तरह के प्रयासों से नक्सलवाद का खात्मा संभव हो सकता है, और इस दिशा में सरकार की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है.
नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष का नया अध्याय
बस्तर और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की सफलता से साफ पता चल रहा है कि अगर केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम करें तो नक्सलवाद का खात्मा किया जा सकता है. यह प्रयास केवल सैन्य अभियान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक और आर्थिक सुधार भी शामिल हैं, जो इन क्षेत्रों में स्थायित्व लाने के लिए जरूरी हैं.
नक्सलवाद के खिलाफ सरकारी रणनीति की सफलता
छत्तीसगढ़ और बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की रणनीति को अब तक सफलता मिल रही है. सुरक्षा बलों द्वारा किए गए ऑपरेशनों और सरकार की विकास योजनाओं का प्रभाव नक्सलवाद पर दिखने लगा है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में, 2026 तक, बस्तर और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलवाद का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा.