50 साल की महिला ने 14वें बच्चे को दिया जन्म, 22 साल का है बड़ा बेटा; डॉक्टरों के उड़े होश
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में 50 साल की गुड़िया ने एंबुलेंस में अपने 14वें बच्चे को जन्म दिया. प्रसव पीड़ा के बढ़ने पर एंबुलेंस के स्टाफ ने डिलीवरी किट की मदद से सफलतापूर्वक डिलीवरी कराई. डॉक्टरों ने मां और बच्चा दोनों को स्वस्थ बताया और उनकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है.

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां 50 साल की महिला ने एंबुलेंस में अपने 14वें बच्चे को जन्म दिया. ये जब हुआ जब महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई और अस्पताल पहुंचने से पहले ही स्थिति इतनी बिगड़ गई कि एंबुलेंस के स्टाफ को समय पर मदद करनी पड़ी. डॉक्टरों ने बताया कि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और उनकी जान को कोई खतरा नहीं है.
ये घटना पिलखुवा के मोहल्ला बजरंगपुरी की निवासी गुड़िया की है, जो इमामुद्दीन की पत्नी हैं. उन्हें पिलखुवा CHC से मेरठ अस्पताल भेजा गया था, लेकिन रास्ते में ही प्रसव पीड़ा इतनी बढ़ गई कि एंबुलेंस के EMT कर्मवीर और पायलट हेमेश्वर ने वाहन रोककर एंबुलेंस के डिलीवरी किट की मदद से बच्चे का जन्म कराया.
एंबुलेंस में महिला को प्रसव पीड़ा
जानकारी के अनुसार, गुड़िया को पिलखुवा CHC में लाया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मेरठ अस्पताल भेजने की सलाह दी. रास्ते में ही उनकी स्थिति गंभीर हो गई और प्रसव पीड़ा बढ़ गई. एंबुलेंस के EMT कर्मवीर और पायलट हेमेश्वर ने तुरंत वाहन रोका और डिलीवरी किट की मदद से गुड़िया का सफलतापूर्वक प्रसव कराया. गुड़िया ने एंबुलेंस में ही एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया, जो अब अपनी मां के साथ जिला अस्पताल में भर्ती है. डॉक्टरों ने दोनों की जांच की और उन्हें स्वस्थ बताया.
डॉक्टरों ने दी मां-बच्चे की स्थिति पर अपडेट
इस मामले पर बात करते हुए CMS डॉ. हेमा लता ने कहा कि गुड़िया नाम की एक मरीज, जो इमामुद्दीन की पत्नी हैं, एंबुलेंस के जरिए हमारे अस्पताल आई. जब वो हमारे पास पहुंची, तब उनका प्रसव पहले ही हो चुका था. हमारे स्टाफ ने महिला को अस्पताल में भर्ती किया और अब दोनों मां-बच्चा स्वस्थ हैं. हम दोनों की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. इस दौरान गुड़िया के 22 साल के बेटे भी अस्पताल में मौजूद थे. वो अपनी मां और नवजात बहन के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें आश्वस्त किया कि दोनों की स्थिति स्थिर है. एंबुलेंस के स्टाफ की त्वरित प्रतिक्रिया और पेशेवर रवैये ने ना केवल मां की जान बचाई बल्कि नवजात बच्ची के सुरक्षित जन्म को भी सुनिश्चित किया.