Aaj Ka Sixer: इस साल लोकसभा का चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है. ओडिशा में बीजेपी और बीजेडी के अच्छे संबंध होने के बावजूत भी सीट शेयरिंग को बात नहीं है. इस बीच भाजपा ने ऐलान कर दिया है कि साल 2024 में होंने वाले लोकसभा के 21 सीटों और विधानसभा के 147 सीटों पर अकेलें ही चुनाव लड़ेंगी. अब यह देखना होगा कैसे भाजपा आबकी बार 400 बार कैसे होता है? इस खबर में जनभावन टाइम्स अपने स्पेशल सीरीज "आज का सिक्कर" में इस खबर से जुड़े 6 बड़े कारण पेश कर रही हैं आखिर भाजपा और बीजेडी के बीच गठबंधन टूटने का क्या है कारण? पढ़िए
➤ ओडिशा में शुरुआती विरोध के बावजूद केंद्रीय भाजपा के बीजद के साथ गठबंधन के लिए खुलापन दिखाया. राज्य में भाजपा नेताओं ने गठबंधन बनाए बिना विपक्षी क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखने की पार्टी की क्षमता पर जोर दिया.
➤ भाजपा -बीजेडी के बीच गठबंधन टूटने के पीछे राज्य की 2 सीटों पर सहमति नहीं बन पानी यह एक बड़ा कारण बना है. भाजपा राजधानी भुवनेश्वर की सीट छोड़ने के लिए बीजेडी पर दबाव बना रही थी लेकिन बीजेडी इस सीट को छोड़ने के लिए किसी भी सुरत मे तैयार नहीं थी.
➤ मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा राज्य प्रशासन पर पांडियन के नियंत्रण की धारणा के बाद बदलावों पर ध्यान दिया जो गतिशीलता में बदलाव का सुझाव देते हैं. भाजपा के साथ गठबंधन सुनिश्चित करने के पांडियन के प्रयासों को पार्टी के भीतर अपनी स्थिति को मजबूत करने के एक कदम के रूप में देखा गया.
➤ बीते 19 मार्च को एक मीडिया में कार्यक्रम के दौरान पांडियन की टिप्पाणियों ने गठबंधन वार्ता में कलह का संकेत दिया. उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि न ही सीएम पटनायक और न हीं पीएम मोदी सत्ता बनाए रखने के लिए गठबंधन पर निर्भर है.
➤ पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम पटनायक के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों के बावजूद, 5 मार्च को ओडिशा में एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी द्वारा पटनायक की "लोकप्रिय (लोगों के नेता)" के रूप में प्रशंसा के बाद औपचारिक गठबंधन की अटकलों ने जोर पकड़ लिया.
➤ भाजपा सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व ओडिशा में बीजेडी के साथ गठबंधन के पक्ष था लेकिन बीजेपी आला कमान किसी भी हाल में झुकर गठबंधन करता हुआ नहीं देखना चाहता था. First Updated : Tuesday, 26 March 2024