चमत्कार से कम नहीं है ये कहानी... 31 साल बाद खोया राजू फिर मिला अपने परिवार से
एक बच्चा जो 31 साल पहले अपहरण का शिकार हुआ था, अब अपने परिवार से मिल पाया. पुलिस की मदद से इस खोए हुए बच्चे की तलाश पूरी हुई और उसकी कहानी सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं. इस दिल छूने वाली घटना ने साबित किया कि कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए. राजू के परिवार के साथ मिलन की पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर!
Ghaziabad: NCR में हर साल कई बच्चे खो जाते हैं, या तो अपहरण हो जाते हैं या फिर कहीं लापता हो जाते हैं. इन बच्चों के परिवार अक्सर उम्मीद खो देते हैं, लेकिन कभी-कभी निरंतर प्रयासों से चमत्कार होते हैं. गाज़ियाबाद में ऐसा ही एक चमत्कार हुआ, जब एक बच्चा 31 साल बाद अपने परिवार से मिल सका.
इंडिया डेली के सवांदता संतोष पाठक के अनुसार, यह अनोखी मुलाकात गाज़ियाबाद पुलिस की मुहिम के चलते हुई, जो बच्चों को उनके परिवार से मिलाने के लिए लगातार काम कर रही है. मामला साहिबाबाद थाना क्षेत्र के शहीदनगर का है, जहां एक बच्चा, जिसका नाम ओमराम उर्फ राजू था, 1993 में स्कूल से लौटते समय अपहृत हो गया था. उस समय ओमराम की उम्र महज 7 साल थी. अपहर्ताओं ने फिरौती के लिए परिवार को एक पत्र भेजा था, लेकिन उसके बाद वे किसी से संपर्क नहीं कर पाए. परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी कि उनका बच्चा कभी वापस आएगा.
राजू की जिंदादिली और कठिनाइयाँ
राजू के लापता होने के बाद से उसका परिवार काफी परेशान था. लेकिन करीब 31 साल बाद, राजू की कहानी का एक नया मोड़ आया. राजू ने पुलिस को बताया कि उसे कई साल पहले एक गाड़ी में बिठाकर राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक सुनसान इलाके में छोड़ दिया गया था. वहां एक व्यक्ति ने उसे बंधक बना लिया और अपने खेतों में काम करने के लिए मजबूर किया. राजू को रात में जंजीरों से बांध दिया जाता था और दिन में उसे सिर्फ एक रोटी खाने को मिलती थी.
राजू ने बताया कि एक दिन एक ट्रक ड्राइवर ने उसे जंजीरों से बंधा देखा और उसकी कहानी सुनी. ट्रक ड्राइवर ने राजू से कहा कि वह दिल्ली जाएगा और उसे गाजियाबाद छोड़ देगा. इसके बाद, ट्रक ड्राइवर ने राजू को गाजियाबाद के पास ट्रेन में बैठा दिया और उसे उसके परिवार के पास भेज दिया. राजू के हाथ में एक पत्र था, जिसे लेकर वह पुलिस स्टेशन पहुंचा.
किस्मत का खेल, परिवार से मिलन
राजू की कहानी की जानकारी पुलिस ने थाने में फैलायी और फिर खोए हुए बच्चों के परिवारों का एक हुजूम थाने पर जुटने लगा. शहीदनगर के भीम सिंह के परिवार को जब यह सूचना मिली, तो वह लोग भी खोड़ा थाने पहुंचे. और जैसे ही राजू ने अपनी मां और बहनों को देखा, वे दोनों ही उसे पहचान गईं और गले लग कर रोने लगीं. यह दृश्य सभी के लिए भावुक करने वाला था. राजू के आंसू रुक नहीं रहे थे और पूरा परिवार गाजियाबाद पुलिस का आभार व्यक्त कर रहा था, जिन्होंने इतने सालों बाद उन्हें इस चमत्कारिक मिलन का मौका दिया.
गाजियाबाद पुलिस ने दिखा दिया कि कभी भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए. इस तरह के प्रयास यह साबित करते हैं कि अगर मेहनत और दिल से काम किया जाए तो किसी भी मुद्दे का समाधान संभव है. राजू का परिवार अब 31 साल बाद अपने बेटे से मिलकर बहुत खुश है और यह एक संदेश है कि कहीं न कहीं यह उम्मीद ज़िंदा रहती है कि खोये हुए बच्चे अपने परिवार से फिर से जुड़ सकते हैं.