कोलकाता के बाद अब देहरादून में हैवानियत, 5 लोगों ने नाबालिग से किया गैंगरेप

Dehradun: उत्तराखंड के देहरादून से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां के आईएसबीटी बस स्टैंड में एक नाबालिग को 5 लोगों ने अपनी हैवानियत का शिकार बनाकर उसके साथ गैंगरेप किया. नाबालिग उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की रहने वाली है. घटना के बाद से इलाके में आक्रोश भरा माहौल देखने को मिल रहा है. वहीं पुलिस ने मामले पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

JBT Desk
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Dehradun: कोलकाता डॉक्टर रेप मर्डर केस को लेकर जहां देशभर में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं दूसरी और उत्तराखंड के देहरादून के आईएसबीटी बस स्टैंड से एक नाबालिग से साथ गैंगरेप करने की खबर सामने आई है. पीड़ित लड़की उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की रहने वाली है. नाबालिग से दुष्कर्म की घटना होने के बाद इलाके में आक्रोश फैल गया है.

इस बीच घटना के बाद से मचे हड़कंप के बीच पुलिस ने केस दर्ज कर कर जांच शुरू कर दी है. इस दौरान अधिकारियों ने मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिस बस में इस घिनौनी घटना को अंजाम दिया गया, उसे फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) भेजा गया है. इसके साथ ही एक और बस को भी एफएसएल  के लिए भेजा है. नाबालिग का मेडिकल कराया गया है, जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है.

यौन हिंसा पर चिंताजनक आंकड़े

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मामले में  बलात्कार विरोधी कार्यकर्ता योगिता भयाना द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, लड़की पंजाब की रहने वाली थी. वह मुरादाबाद से आ रही थी, तभी चलती बस में पांच लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया. वहीं यह घटना भारत में यौन हिंसा की खतरनाक प्रवृत्ति को बढ़ाती है, हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में पूरे देश में 31,000 से अधिक बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. महिलाओं की सुरक्षा का लगातार मुद्दा व्यापक चिंता और कार्रवाई की मांग को जन्म देता है.

कोलकाता सामूहिक बलात्कार और हत्या

देहरादून का मामला महिला सुरक्षा को लेकर देशभर में हो रहे विरोध के बाद सामने आया है, जिसकी वजह कोलकाता में 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या है. 9 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की लाश मिली थी, पोस्टमार्टम में पता चला कि ड्यूटी के दौरान उसकी हत्या से पहले बलात्कार किया गया था.

केंद्रीय कानून की मांग

इन घटनाओं ने चिकित्सा समुदाय द्वारा देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और हड़तालों को जन्म दिया है, जो अपने सहकर्मी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीय कानून की वकालत कर रहे हैं. चल रहे प्रदर्शन महिलाओं और कमजोर समूहों को ऐसे जघन्य अपराधों से बचाने के लिए व्यवस्थागत बदलावों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं. 

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18 August 2024, 07:22 PM IST

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