अखिलेश यादव के अनुरोध पर JDU ने कसा तंज, दिला दी आपातकाल की याद, जानें मामला
अखिलेश यादव ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से भाजपा के साथ गठबंधन खत्म करने का अनुरोध किया है. इस पर जेडी(यू) के केसी त्यागी ने आपातकाल का हवाला देते हुए यादव को याद दिलाया कि उनके पिता भी उस समय जेल गए थे. क्या यह सियासी बयानबाजी है या वाकई इसमें कोई बड़ा बदलाव आने वाला है? जानें इस दिलचस्प राजनीतिक ड्रामे की पूरी कहानी!
JDU Reminds Of Emergency: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को छोड़ने की मांग की है. उन्होंने यह टिप्पणी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय की. यह घटनाक्रम उस समय हुआ जब पुलिस ने उन्हें राष्ट्रीय नायक जय प्रकाश नारायण की 122वीं जयंती पर उनके स्मारक पर जाने से रोक दिया.
अखिलेश यादव के इस अनुरोध पर जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने याद दिलाया कि आपातकाल के दौरान जब कांग्रेस सरकार ने कई लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगाया था तब अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव और नीतीश कुमार खुद जेल गए थे. त्यागी ने कहा कि यादव को कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन को खत्म कर देना चाहिए क्योंकि उस समय के कांग्रेस शासन ने जनता की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया था.
आपातकाल का संदर्भ
दरअसल आपातकाल 25 जून 1975 को लगाया गया था, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई अधिकारों पर पाबंदियां लगाई थीं. त्यागी ने कहा, 'जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में जो आंदोलन हुआ, वह कांग्रेस की तानाशाही के खिलाफ था. उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं थी और यादव की टिप्पणियां अनुचित हैं.'
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन
कांग्रेस, जो वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व कर रही है उसमें समाजवादी पार्टी भी शामिल है. इस साल लोकसभा चुनाव में, दोनों पार्टियों ने मिलकर उत्तर प्रदेश में 80 सीटों में से 43 सीटें जीतीं है, जबकि भाजपा सिर्फ 33 सीटों पर सिमट गई.
भाजपा का सियासी भविष्य
हालांकि भाजपा ने केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई है, लेकिन वह तीसरी बार बहुमत पाने में असफल रही. उसके सहयोगियों का समर्थन उसे सत्ता में बनाए रखने में मदद कर रहा है. इस संदर्भ में, जेडी(यू) की 12 लोकसभा सीटें भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी की तरह हैं.
इस घटनाक्रम ने फिर से साबित कर दिया है कि भारतीय राजनीति में सियासी रिश्ते कितने जटिल और संवेदनशील होते हैं. अखिलेश यादव का भाजपा से समर्थन वापस लेने का आग्रह और जेडी(यू) की प्रतिक्रिया ने यह दिखा दिया कि सियासत में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता. आगे आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि ये सियासी समीकरण कैसे बदलते हैं और क्या वास्तव में भाजपा को अपने सहयोगियों के समर्थन में कमी का सामना करना पड़ेगा.