अखिलेश यादव की महाकुंभ में डुबकी, क्या मिल्कीपुर उपचुनाव की सियासी तस्वीर को बदलने का कर रही इशारा?
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने महाकुंभ में स्नान करके न सिर्फ आस्था दिखलाई, बल्कि एक सियासी संदेश भी दिया है. उनके इस कदम से मिल्कीपुर उपचुनाव की सियासी तस्वीर बदल सकती है. जहां एक ओर सपा को मुस्लिम और यादव वोटरों का समर्थन मिलता है, वहीं अखिलेश की महाकुंभ यात्रा से हिंदू वोटरों का रुख भी प्रभावित हो सकता है. 3 फरवरी को मिल्कीपुर में जनसभा के बाद, चुनावी मैदान में भाजपा और सपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. जानिए, अखिलेश का ये कदम चुनावी समीकरण को कैसे बदल सकता है.

Akhilesh Yadav In Mahakumbh: समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 26 जनवरी 2025 को प्रयागराज में महाकुंभ में स्नान किया. उनकी यह कदम केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं था, बल्कि इसका एक सियासी संदेश भी था. अखिलेश यादव ने महाकुंभ के स्नान के बाद योगी सरकार से 10 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवंटन की मांग भी की. ये कदम उस समय आया है जब इंडिया गठबंधन के अन्य बड़े नेता इस धार्मिक आयोजन से दूर रहे थे. ऐसे में अखिलेश का महाकुंभ में शामिल होना एक मजबूत राजनीतिक बयान है, जो आगामी मिल्कीपुर उपचुनाव में अहम साबित हो सकता है.
भाजपा और सपा के बीच कड़ी टक्कर
मिल्कीपुर विधानसभा सीट अयोध्या जिले में स्थित है और यह दोनों प्रमुख पार्टियों, भाजपा और सपा, के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है. दोनों पार्टियां इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं. खासकर सपा के लिए यहां मुस्लिम और यादव मतदाताओं का मजबूत समर्थन है, लेकिन अखिलेश यादव के महाकुंभ में स्नान के बाद हिंदू वोटरों का रुख भी बदल सकता है.
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी ने प्रयागराज में महाकुंभ के अवसर पर संगम में आस्था की डुबकी लगाई। pic.twitter.com/OAC8MYV5vr
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) January 26, 2025
अखिलेश यादव 3 फरवरी 2025 को मिल्कीपुर में जनसभा करने जा रहे हैं. उनकी पार्टी ने हमेशा मुस्लिम और यादव मतदाताओं का समर्थन हासिल किया है, लेकिन अब सपा PDA फॉर्मूला पर काम कर रही है, जो पार्टी को और भी मजबूती दे सकता है. लोकसभा चुनाव 2024 में इस फॉर्मूले का असर देखा गया था.
जातीय समीकरण का खेल
मिल्कीपुर सीट का जातीय समीकरण भी बेहद दिलचस्प है. इस सीट पर एक लाख से ज्यादा दलित मतदाता हैं, जो भाजपा और सपा के बीच बंट सकते हैं. सपा को यहां करीब 50 हजार यादव और 26 हजार मुस्लिम वोटers का समर्थन मिल सकता है. इसके अलावा अन्य वोटरों में ब्राह्मण-गोसाई 75 हजार, ठाकुर 22 हजार, वैश्य 18 हजार, पासी 57 हजार, कोरी 18 हजार, रैदास 16 हजार, पाल 5 हजार और मौर्य 6 हजार हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने भाजपा के गोरखनाथ को 10 हजार से अधिक मतों से हराया था. अब अखिलेश यादव अपने पार्टी के उम्मीदवार और अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद का समर्थन करने मिल्कीपुर जा रहे हैं.
किसकी होगी जीत?
सियासी विश्लेषकों के अनुसार, अखिलेश यादव का महाकुंभ में डुबकी लगाना और फिर मिल्कीपुर में जनसभा करने जाना एक बड़ा कदम साबित हो सकता है. यह कदम न केवल सपा के वोट बैंक को मजबूत करेगा, बल्कि भाजपा को भी कड़ी चुनौती दे सकता है. अब देखना यह है कि मिल्कीपुर उपचुनाव में वोटरों का रुख किस ओर होता है और किस पार्टी को जीत मिलती है.
अखिलेश यादव के इस कदम को लेकर अब हर कोई चुपके-चुपके यह अनुमान लगा रहा है कि मिल्कीपुर सीट पर भाजपा और सपा के बीच मुकाबला कितना कड़ा होने वाला है.