रायपुर में कल से शुरू होगी संघ की तीन दिवसीय राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कल यानी की शनिवार से तीन दिवसीय राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक शुरू होने जा रही है। यह बैठक 10 से 12 सितंबर तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित होगी। आरएसएस की इस बैठक के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कल यानी की शनिवार से तीन दिवसीय राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक शुरू होने जा रही है। यह बैठक 10 से 12 सितंबर तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित होगी। आरएसएस की इस बैठक के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में अगले वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक के जरिए विधानसभा चुनाव से पूर्व सामाजिक समीकरण और संगठन में बदलाव को लेकर व्यापक चर्चा की जा सकती है। रायपुर के मानस भवन में होने वाली आरएसएस की राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, होसबले समेत कई पदाधिकारी अगले तीन दिनों तक व्यापक चर्चा करेंगे।
यह पहली बार है कि आरएसएस से जुड़े निकायों की राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक छत्तीसगढ़ में हो रही है। जहां अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। समन्वय समिति की बैठक में संबंधित संगठनों की गतिविधियों से संबंधित जानकारी साझा करने के अलावा अन्य विषय पर भी चर्चा की जाएगी। इसमें पर्यावरण, पारिवारिक जागरूकता और सामाजिक समरसता से संबंधित विषयों पर ध्यान केंद्रित होगा।
इसके अलावा शिक्षा और वैचारिक क्षेत्रों, अर्थव्यवस्था, सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल होंगे। इसके अलावा भारतीय मजदूर संघ, विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय किसान संघ के सदस्य भी शामिल होंगे।
वहीं आएसएस का कहना है कि यह सतत प्रक्रिया है। इसे सिर्फ चुनावों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। जहां तक चुनाव की बात है तो यह बात सच है कि करीब 15 वर्ष तक शासन करने के बाद भाजपा वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो गई थी।
हालांकि, संघ का सीधे तौर पर राजनीति में दखल नहीं करता है। इस बैठक को सिर्फ 2023 के संदर्भ में नहीं देखना चाहिए इसके जरिए संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीयता के प्रति भावनाओं और कर्तव्य को जागृत करना है।