अयोध्या गैंगरेप केस: मोईद खान का DNA सैंपल न मैच होने पर सपा-भाजपा के बीच गरमाई राजनीति!
Ayodhya Gangrape Case: अयोध्या के भदरसा गैंगरेप मामले में सपा नेता मोईद खान का DNA सैंपल पीड़िता से मेल नहीं खाया, जिससे सपा और भाजपा के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी का कहना है कि सपा के नेताओं का हमेशा किसी न किसी अपराध से संबंध होता है, जबकि सपा ने सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. मोईद खान की गिरफ्तारी और उसके बाद के घटनाक्रम ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है. जानिए इस मामले की पूरी कहानी!
Ayodhya Gangrape Case: अयोध्या के भदरसा गैंगरेप मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मोईद खान का DNA सैंपल पीड़िता से मेल नहीं खाया है और इस मामले ने सपा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच वाकयुद्ध को फिर से उभरने का मौका दे दिया है.
गौरतलब है कि मोईद खान और उनके साथी राजू खान को 30 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप है कि दोनों ने एक नाबालिग के साथ बलात्कार किया और अश्लील वीडियो भी बनाया. यह मामला तब सामने आया जब पुलिस को पता चला कि नाबालिग गर्भवती है. मोईद खान के सपा से जुड़े होने की बात भी चर्चा में है जिससे मामला और भी राजनीतिक हो गया है.
राजनीतिक बयानबाजी
मामले की ताजा स्थिति पर भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, 'समाजवादी पार्टी के सभी क्रियाकलाप प्रदेश की जनता पहले से जानती है. जब भी कोई घटना होती है तो सपा का कोई न कोई नेता उसमें शामिल होता है. सपा के शासन में अपराधियों का मनोबल हमेशा बढ़ा है.'
वहीं, सपा नेता अवधेश प्रसाद ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके नेता अखिलेश यादव ने मामले में संदेह व्यक्त किया और DNA टेस्ट की मांग की थी. उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट था कि रिपोर्ट निगेटिव आएगी. सरकार ने मोईद का घर भी गिरा दिया लेकिन जब परिणाम आए तो वह निर्दोष पाए गए. इस तरह की घटनाएं देश की एकता और भाईचारे के लिए अच्छी नहीं हैं.'
सपा की ओर से उठाए गए सवाल
समाजवादी पार्टी ने मोईद खान के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि बिना सच्चाई जाने ही कार्रवाई करना गलत है. सपा के नेता इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर हैं और उनका मानना है कि यह राजनीति का हिस्सा है.
क्या होगा आगे?
इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी. DNA टेस्ट का न मिलना और उसके बाद दोनों पार्टियों के बीच बयानबाजी ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है. अब सबकी निगाहें इस मामले की आगे की कार्रवाई पर हैं और साथ ही यह भी देखने की जरूरत है कि सरकार इस मुद्दे को कैसे हैंडल करती है.
अयोध्या का यह मामला न केवल एक गंभीर अपराध को उजागर करता है बल्कि यह राजनीति की बुराईयों को भी सामने लाता है. जनता को अब यह देखना है कि कैसे उनकी सरकार इन मुद्दों पर कार्रवाई करती है.