मध्य प्रदेश। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने बयानों और दावों को लेकर हमेशा चर्चाओं में बने रहते हैं। अब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के आंसू की चर्चा हो रही है। मात्र 26 वर्ष की आयु में लाखों भक्तों और कई वीआईपी को आशीर्वाद देते हुए दिखने वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बहुत ही सामान्य परिवार से हैं। भक्तों के सामने कथा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने जब अपने संघर्ष के दिनों को याद किया तो वह रो पड़े और उनकी आंखों से लगातार आंसू निकलने लगे।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर की बात सुनकर सामने बैठे हजारों भक्तों की आंखों से भी आंसू की धारा बह निकली। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में बाबा बागेश्वर ने बताया कि कैसे उन्हें अपनी बहन की शादी के लिए दर- दर की ठोकरें खानी पड़ी, लोगों से पैसे उधार मांगने पड़े। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा 'संपत्ति नहीं थी, धन नहीं था। उधार खूब मांगा लेकिन कुछ नहीं मिला। हमारे घर पर 2 से 3 पशु थे, उन्हें बेचा तो बहन की शादी की व्यवस्था हुई। उसी दिन हमने बालाजी के सामने प्रण लिया था कि हमारी जिंदगी में ऐसा दौर आएगा, गुरु ने तो हम एक दिन ऐसा लाएंगे कि हम भी गरीब बेटियों का विवाह करेंगे।'
अपने आश्रम में अब कन्यादान कराने वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, 'अपनी बहन के विवाह के लिए दर- दर ठोकर खानी पड़ी पैसों के लिए, बालाजी कभी सामर्थ्य देना तो हम चाहते हैं कि कोई भी भाई हमारी तरह दुःख ना पाए।' पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने संघर्ष को याद करते हुए कहा कि भूखे का कोई नहीं होता, त्योहार आता है तो सबके घर खुशियां होती हैं। आज तुम लोग यहां पहुंच गए तो लगता है कि त्योहार है तो अलग तरीके से मनाएं। कभी जिंदगी जीकर देखना उन गरीबों की घर में पूड़ी बन जाए तो उस दिन को त्योहार मान लेते है। बाबा बागेश्वर ने कहा गरीब का सिर्फ ईश्वर होता है।
वहीं बचपन में सिर्फ पायजामा होने की बात कहते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा मेरे पास सिर्फ एक पायजामा था, उसी को रात में धोकर सूखने डाल देते थे, सर्फ तो था नहीं, सादे पानी में धोकर सुखा देते थे और सुबह पहनकर जाते थे तो बच्चे स्कूल में चिढ़ाते थे, कहते थे रोज- रोज एक ही कपड़े पहनकर आ जाते हो गर्ग जी। मैं झूठ कह देता था कि नहीं कल दूसरा था, हमें पायजामा बहुत पसंद है न इसलिए यही पहनते हैं। उन्होंने कहा कि शौक तो हमें भी था कि रोज बदलकर पहनें लेकिन मजबूरी तो थी। First Updated : Thursday, 02 March 2023