संभल में सैयद सालार मसूद गाजी के मेले पर रोक, बहराइच में शादी की तैयारी
संभल में हर साल लगने वाले सैयद सालार मसूद गाजी के मेले पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. उन्हें लुटेरा बताकर इस साल इस मेले के आयोजन की अनुमति नहीं दी गई. वहीं बहराइच में उनकी दरगाह पर शादी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. इस शादी में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं और यहां पर हर साल विशाल मेला लगता है.

Syed Salar Masood Ghazi fair: बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर इस वर्ष 15 मई से शादी का कार्यक्रम शुरू होगा, जो 15 जून तक चलेगा. मुख्य कार्यक्रम 18 मई को होगा, जब बारात निकलेगी. शादी के निमंत्रण पत्र 15 अप्रैल से भेजे जाएंगे. वहीं, संभल में मंगलवार को मेले के लिए झंडा गाड़े जाने की तैयारी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे यह कहकर रोक दिया कि लुटेरे के नाम पर कोई मेला नहीं होगा. जहां झंडा गाड़ा जाना था, उस गड्ढे को सीमेंट से बंद कर दिया गया.
बहराइच में स्थित मसूद गाजी की दरगाह पर ज्येष्ठ माह में हर साल मेला आयोजित होता है. इस मेले की तैयारी वक्फ बोर्ड की 13 सदस्यीय कमेटी करती है और जिला प्रशासन भी सुरक्षा, पेयजल, सफाई जैसी व्यवस्थाएं करता है. इस मेला में करीब 10 से 15 लाख श्रद्धालु शामिल होते हैं. पुलिस बल की भारी तैनाती की जाती है. यहां के मेले में हिंदू और अन्य धर्मों के लोग भी बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं, जो गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक माने जाते हैं.
कौन हैं सैयद सालार मसूद गाजी?
सैयद सालार मसूद गाजी का जन्म 10 फरवरी 1014 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था. वह महमूद गजनवी के भांजे और सेनापति थे. 1033 ई में मसूद गाजी बहराइच पहुंचा और श्रावस्ती के महाराजा सुहेलदेव के साथ युद्ध में मारा गया. उसे बहराइच में ही दफनाया गया और बाद में दिल्ली के शासकों ने उसकी कब्र को दरगाह में तब्दील कर दिया. मसूद गाजी की कब्र के आसपास उसके सिपाहियों की कब्रें भी हैं.
यहां मसूद गाजी की दो महत्वपूर्ण निशानियां हैं, एक उसका कुर्ता और दूसरा लगभग एक हजार साल पुराना कुरआन-ए-मजीद. दरगाह से कुछ दूरी पर अनारकली और चित्तौरा झीलें हैं, जहां जायरीन जाते हैं.