बांग्लादेशी घुसपैठ झारखंड के आदिवासियों के लिए बनी मुसीबत, हेमंत सरकार पर चंपई सोरेन का प्रहार
Champai Soren: झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है. हमारे पूर्वजों ने जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. दरअसल राज्य में बढ़ रही बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने चिंता जाहिर की है.
Champai Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ के बढ़ते मुद्दे पर चिंता जताई है. हाल ही में लिखे एक पत्र में सोरेन ने हेमंत सोरेन की सरकार और अन्य राजनीतिक दलों के प्रति अपना असंतोष जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने आदिवासी पहचान और सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों की उपेक्षा की है. चंपई का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केवल भाजपा ही इन मुद्दों से निपटने के लिए गंभीर है. इसलिए सोरेन ने झारखंड के मूल समुदायों के हितों की रक्षा के लिए भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है. चंपई सोरेन 30 अगस्त को बीजेपी में शामिल होंगे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड हाई कोर्ट द्वारा विशेष रूप से संथाल परगना क्षेत्र में व्यक्त की गई ये चिंताएं हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार के शासन और प्रशासनिक दक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती है. इन ज्वलंत मुद्दों पर निर्णायक कार्रवाई का अभाव और अपर्याप्त प्रतिक्रिया न केवल संभावित प्रशासनिक चूक को दर्शाती है, बल्कि इन समस्याओं से राज्य के लिए उत्पन्न सामाजिक-राजनीतिक और सुरक्षा निहितार्थों (security implications) के प्रति उपेक्षा को भी दर्शाती है.
झारखंड हाई कोर्ट ने जाहिर की चिंता
एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट की हाल की टिप्पणियों ने दो महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित किया है. झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ और क्षेत्र में घटती आदिवासी आबादी. संथाल परगना क्षेत्र के छह जिलों के डिप्टी कमिश्नर और एसपी द्वारा प्रस्तुत हलफनामों में विस्तृत जानकारी का अभाव पाया गया, जिसके कारण कोर्ट ने इन मुद्दों को संबोधित करने में हेमंत सोरेन सरकार के प्रयासों पर सवाल उठाया.
कोर्ट ने बांग्लादेशी घुसपैठ से संबंधित हलफनामों में विशिष्ट डेटा और स्पष्टीकरण की कमी पर असंतोष जाहिर किया है. स्पष्टता की यह कमी न केवल प्रशासनिक तत्परता में विफलता को दर्शाती है, बल्कि राज्य की अपनी स्वदेशी आबादी की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में भी चिंता पैदा करती है. घटती आदिवासी आबादी को ध्यान में न रखना इन चिंताओं को और गहरा करता है, जो झारखंड के आदिवासी समुदायों के अधिकारों और हितों की संभावित उपेक्षा का संकेत देता है. हाई कोर्ट ने विस्तृत स्पष्टीकरण की मांग की है और अगली सुनवाई 5 सितंबर के लिए निर्धारित की है, जिसमें अधिकारियों से आधार और मतदाता पहचान पत्र के प्रोसेसिंग पर व्यापक दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा है.
जोहार साथियों,
— Champai Soren (@ChampaiSoren) August 27, 2024
पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प…
चंपई सोरेन ने हेमंत सरकार पर साधा निशाना
इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व नेता चंपई सोरेन ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है. हमारे पूर्वजों ने जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इसकी वजह से हमारी माताओं, बहनों और बेटियों की अस्मिता खतरा में है.
चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा. कई जगहों पर हमारे आदिवासी भाई-बहन से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या हो गई है.'