बैतूल: महिलाएं बना रही गोबर के दिये, ग्राहक भी कर रहे पसंद, आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर पेश कर रही है महिलाएं
बैतूल जिले में चायनीज दियो की तुलना में गोबर के दिये पसंद किए जा रहे है। स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर के दिये तैयार किए हैं और अब ये दिये बाजार में बिकने के लिए आ गए हैं
संबाददाता- वाजिद खान (बैतूल, मध्य प्रदेश)
मध्य प्रदेश। बैतूल जिले में चायनीज दियो की तुलना में गोबर के दिये पसंद किए जा रहे है। स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर के दिये तैयार किए हैं और अब ये दिये बाजार में बिकने के लिए आ गए हैं, दिये बैतूल ही नहीं बैतूल से बाहर भी जा रहे हैं।
बैतूल की त्रिवेणी गौशाला में देशी गाय के गोबर से दिये तैयार किये गए है। महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं दीपावली पर घरों को रौशन करने के लिए गोबर से बने दीपक बाजार में उतार रही है। महिलाएं यहां दीपक, मुर्तिया, मंगलकारी धार्मिक चिन्ह के निर्माण गाय के गोबर से कर रही है।
आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर पेश करती महिलाएं बैतूल के पास त्रिवेणी गौशाला में गोबर से बनने वाले उत्पात बनाने में जुटी हुई है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बनाये गए स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने यहां गोबर के दीपक तैयार किये है। इसके अलावा गोबर से ही धूप बत्ती, गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमाएं, शुभ लाभ और स्वास्तिक की आकृतियां बनाई है।
बैतूल जिले में कार्य कर रहे स्व सहायता समूह की महिलाओं ने 30 हजार गोबर के दिये बनाये है। 3 किलो गोबर, एक किलो मिट्टी और इतने ही प्रीमिक्स के मिश्रण से सौ दीपक तैयार किये जाते है। गोबर से तैयार यह दीपक बाजार में चालीस रुपये में एक दर्जन मिलते है।
इन दियों को बेचने के बाद पूरी रकम इन्ही महिलाओं को दे दी जाएगी। जिला पंचायत बैतूल भी इन महिलाओं को स्वावलंबन की दिशा में ले जाने के पूरे प्रयास कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत की सच्ची तस्वीर पेश करती इन महिलाओं के कार्य से साफ हो गया है कि गोबर सिर्फ कंडे या उपले और खेतों की खाद बनाने के काम ही नही आता। बल्कि इसके और भी उपयोग हो सकते है।