भिंड: स्कूल संचालक ही निकला मासूम का हत्यारा, आरोपी सलाखों के पीछे

भिंड जिले के चंदनपुरा इलाके में अपहरण कर हत्या करने के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी और उसके 5 साथियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है

Janbhawana Times
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रिपोर्ट- पीयूष बिरथरिया (भिंड, मध्यप्रदेश)

मध्यप्रदेश। भिंड जिले के चंदनपुरा इलाके में अपहरण कर हत्या करने के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी और उसके 5 साथियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। दरअसल बुधवार दिनांक 09.11.2022 को आर्यन शर्मा पिता वीरेंद्र शर्मा 11 वर्ष, का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है।

स्कूल संचालक निकला कातिल -

मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी पवन दैपुरिया आपराधिक प्रवित्ति का इंसान है। पवन दैपुरिया जुआ, सट्टा, शराब का आदी है, जिसकी पूर्ति के लिए उसने एक स्कूल (के० आर० डी० स्कूल) संचालित कर रखा है। लेकिन गलत आदतों के चलते उसके सर पर लाखों रूपए का कर्जा है, जिसे चुकाने के लिए पवन दैपुरिया ने मासूम आदर्श का अपहरण कर उसके परिजनों से रूपए ऐठने का घिनौना विचार बनाया।

भेद छुपाने के लिए किया क़त्ल -

आपको बता दें आरोपी पवन दैपुरिया स्कूल संचालक होने के साथ-साथ अच्छे परिवार से है जिसके कारण आसपास के लोगों में उसका काफी सम्मान भी था। आर्यन के पिता द्वारा पुलिस को की गई शिकायत से वो काफी डर गया था। उसका सच सामने आने से समाज में जो रुतवा बना था वो सब खतम हो जाता, या यूं कहे कि वो खुद को सलाखों के पीछे देख रहा था। इसी डर के चलते उसने मासूम आदर्श की गला दबाकर निर्मम हत्या कर दी।

शिक्षा का मंदिर बना अय्याशी का साधन -

जहां एक तरफ हम स्कूल, कॉलेज को शिक्षा का मंदिर मानते (कहते) है, वहीं पवन दैपुरिया जैसे कुछ आसामाजिक तत्व इसे अपनी बुरी आदतों को पूरा करने का एकमात्र साधन मानते है। एक तरफ जहां हमारी सरकार 'स्कूल चलें हम', 'हर घर शिक्षा' जैसे अभियान चला रही है।

वहीं पवन दैपुरिया जैसे लोग इसे अपनी अय्याशी का अड्डा बना क़त्ल जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे कहाँ तक सुरक्षित हैं, या यूं कहें कि सुरक्षित है भी या नहीं?

पुलिस की सक्रियता ने आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया -

वीरेंद्र शर्मा द्वारा दी गई गुमशुदा की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह चौहान ने तत्परता दिखाते हुए एक टीम गठित की और जांच में जुट गए। कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए आखिरकार 2 दिन में ही आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम किया।

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