भोपाल: एक बार भी नहीं हुई शहर के इकलौते केबल स्टे फुट ब्रिज की जांच, हो सकता है मोरबी जैसा हादसा

भदभदा चौराहे से वन विहार रोड पर शहर का इकलौता झूलता हुआ पैदल यात्री पुल है। इसका शुभारंभ सैर-सपाटा बनने के साथ 2011 में हुआ था

भोपाल, मध्य प्रदेश। भदभदा चौराहे से वन विहार रोड पर शहर का इकलौता झूलता हुआ पैदल यात्री पुल है। इसका शुभारंभ सैर-सपाटा बनने के साथ 2011 में हुआ था। लेकिन बनने के बाद से आज तक इसकी क्षमता का परीक्षण और नियमित सुरक्षा जांच ही नहीं कराई गई है।

हालात यह है कि एक दशक से अधिक पुराना और गारंटी पीरिएड से बाहर हो चुके ब्रिज पर जाने वालों की सीमा भी तय नहीं की गई है, जिसके चलते अवकाश के दिनों में इस पर 100 से अधिक पर्यटकों तक की भीड़ हो जाती है।

तीन करोड़ 70 लाख की लागत से निर्माण -

पर्यटन विभाग की ओर से सैर-सपाटा को बनाए जाने के समय वहां तक पहुंचने के लिए केबल स्टे ब्रिज का निर्माण कराया गया था। मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया था। सैर-सपाटा भ्रमण के लिए आने-जाने वाले यात्री इसी से गुजरकर जाते हैं। कुछ समय बाद इस पर आकर्षक रोशनी कर दी गई, जिसके बाद रात को आने वाले और इस पर तस्वीर खिंचवाने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ गई।

पीडब्ल्यूडी का ब्रिज सेक्शन करता है जांच -

पांच साल बाद इस पुल की गारंटी खत्म हो गई, लेकिन इस पुल पर न तो पर्यटकों के जाने की सीमा तय की गई और न ही इसका निरीक्षण ही कराया गया। इतना ही नहीं, हैगिंग ब्रिज पर सीमेंट के स्लैब डाल दिए गए।

प्रदेश भर के पुलों की जांच का जिम्मा पीडब्‍ल्‍यूडी के जिस ब्रिज सेक्शन के पास है, उसने भी आज तक जांच नहीं की। ब्रिज सेक्शन के अधिकारियों का कहना है कि पर्यटन विकास निगम ने कभी इस बारे में पत्राचार ही नहीं किया।

नीचे गहरा तालाब, मगरमच्छ भी -

पुल पुराना हो चुका है अवकाश के दिनों में सैकड़ों लोग एकसाथ इस पुल पर होते हैं। खास बात यह है कि पुल के नीचे गहरा बड़ा तालाब है, जिसमें मगरमच्छ भी हैं। कभी भी हादसे जैसी स्थिति बनी तो जानमाल की बड़ी हानि हो सकती है।

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01 November 2022, 03:49 PM IST

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