'गुजरात के BZ ग्रुप घोटाले में बड़ा खुलासा: 7 गिरफ्तार, 175 करोड़ के लेन-देन की जांच तेज!'
गुजरात में बीजेड ग्रुप के घोटाले ने सनसनी मचा दी है! सीआईडी ने अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें प्रमुख एजेंट्स भी शामिल हैं. इस घोटाले में 175 करोड़ रुपये के लेन-देन के सबूत मिले हैं और एजेंट्स ने रिटायर्ड लोगों को अपने जाल में फंसाया. सीआईडी अब तेजी से जांच कर रही है और कई संपत्तियों की भी जांच हो रही है. जानिए कैसे बीजेड ग्रुप ने लाखों लोगों को धोखा दिया और घोटाले की असली रकम क्या है!
Gujarat BZ Group Scam: गुजरात में बीजेड ग्रुप के खिलाफ सीआईडी क्राइम द्वारा की जा रही जांच अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है. इस घोटाले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें प्रमुख एजेंट्स भी शामिल हैं. यह घोटाला राज्य के कई हिस्सों में फैला हुआ है और जांच में अब तक 175 करोड़ रुपये के लेनदेन के सबूत मिले हैं. आरोपियों पर रिटायर्ड लोगों को निशाना बनाकर उन्हें धोखा देने का आरोप है. सीआईडी अब घोटाले के असली चेहरों को उजागर करने के लिए पूरी तरह से सक्रिय हो गई है और आगे की जांच में तेज़ी लाई गई है.
सीआईडी की जांच में तेजी: 7 आरोपी गिरफ्तार
बीजेड ग्रुप के खिलाफ जांच में अब तक 7 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें मयूर दरजी, विशाल झाला, राहुल राठौड़, आशिक भारथरी, संजय परमार, अंकित सिंह और रणवीर सिंह शामिल हैं. गिरफ्तार आरोपियों में से मयूर दरजी को कोर्ट में पेश किया गया था, जहां सीआईडी ने उसे 10 दिन की रिमांड देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने केवल 2 दिन की रिमांड दी. बाकी आरोपियों की रिमांड नहीं मांगी गई, जिससे जांच में एक नया विवाद खड़ा हो गया.
जांच में 175 करोड़ रुपये के लेनदेन के सबूत
सीआईडी ने इस मामले में एक स्पेशल योजना तैयार की है और चार टीमें गठित कर जांच को और भी तेज कर दिया है. जांच के दौरान आरोपियों के बैंक खातों से जुड़ी 175 करोड़ रुपये के लेन-देन के सबूत मिले हैं. यह लेन-देन बीजेड ग्रुप के एजेंट्स और उनके निवेशकों के बीच हुआ था. खासकर उत्तर गुजरात के रिटायर्ड लोगों को एजेंट्स ने अपने झांसे में फंसाया. सीआईडी ने अब निवेशकों और एजेंट्स की एक सूची तैयार की है, जिससे आगे की जांच में मदद मिल रही है.
संपत्तियों की जांच और चौंकाने वाले खुलासे
सीआईडी ने यह भी पता लगाया है कि घोटाले से जुड़ी कई संपत्तियां बनाई गई हैं, जिनकी अब जांच की जा रही है. अधिकारियों का मानना है कि जल्द ही घोटाले की असल राशि का पता चल सकेगा. इसके साथ ही सीआईडी एजेंट्स से पूछताछ कर यह जानने की कोशिश कर रही है कि घोटाले में और कौन-कौन लोग शामिल हैं.
एजेंट्स पर शिकंजा: 2016 से चल रहा था धोखाधड़ी का खेल
सीआईडी की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि बीजेड ग्रुप ने 2016 से अपना जाल फैलाना शुरू किया था. 2020 में कंपनी ने राज्यभर में कई ऑफिस खोले और वहां काम करने वाले एजेंट्स को 5 से 25 प्रतिशत कमीशन देने की व्यवस्था बनाई. एजेंट्स ने 5 लाख रुपये के निवेश पर मोबाइल और 10 लाख रुपये के निवेश पर स्मार्ट टीवी जैसे लालच देकर लोगों को फंसाया. मयूर दरजी, एक प्रमुख एजेंट, ने खुद बीजेड ग्रुप में ढाई करोड़ रुपये का निवेश किया था.
सीए रुशित मेहता के घर पर छापा
इस बीच, सीआईडी ने घोटाले के संदिग्ध कनेक्शन की जांच करते हुए सीए रुशित मेहता के घर और कार्यालय पर छापा मारा. यह छापेमारी महावीरनगर, हिम्मतनगर में की गई. अधिकारियों का अनुमान है कि बीजेड ग्रुप का घोटाला 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है. सीआईडी की जांच में और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं. बीजेड ग्रुप के घोटाले की गहराई में जाकर सीआईडी ने इस मामले को हल करने की पूरी कोशिश शुरू कर दी है और इस दौरान कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं.