Bishnupur Lok Sabha Seat: बंगाल की इस सीट पर दिलचस्प होगा मुक़ाबला, ‘पति-पत्नी’ हुए आमने-सामने
पश्चिम बंगाल की एक लोकसभा सीट पर चुनावी मुक़ाबला काफ़ी दिलचस्प होने जा रहा है. दरअसल यहाँ से एक पूर्व पति-पत्नी चुनाव लड़ रहे हैं.
Bishnupur Lok Sabha Seat: ममता बनर्जी का पार्टी टीएमसी ने हाल ही में लोकसभा चुनाव के लिए अपनी लिस्ट जारी की है. जिसमें देखा जा सकता है कि पार्टी ने कई बड़े फ़ैसले लिए हैं. पूर्व क्रिकेटर यूसुफ़ पठान को टिकट देने के अलावा एक और हैरान कर देने वाला और दिलचस्प फ़ैसला लिया है. दरअसल एक सीट से तलाकशुदा जोड़ा आमने-सामने है. बांकुरा जिले की बिष्णुपुर सीट पर उस वक़्त मुक़ाबला कड़ा हो गया जब भाजपा और टीएमसी उम्मीदवार पूर्व में पति-पत्नी निकले.
कैमरे पर दिया था तलाक
बिष्णुपुर सीट पश्चिम बंगाल में चर्चा का विषय बनी हुई है. भाजपा ने इस महीने की शुरुआत में सौमित्र खान को बिष्णुपुर से मैदान में उतारा था. आज, तृणमूल ने उसी सीट से सुजाता मंडल के नाम का ऐलान किया है. बताया जा रहा है कि यह दोनों पति-पत्नी थे लेकिन 2021 विधानसभा चुनाव से पहले यह दोनों अलग हो गए थे. एक ख़बर के मुताबिक़ भाजपा उम्मीदवार खान ने अपनी पत्नी के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने पर कैमरे पर ही तलाक़ दे दिया था.
टीएमसी की पहली लिस्ट में सबसे बड़ा फ़ैसला यह था कि पार्टी ने बहरामपुर लोकसभा सीट से पूर्व क्रिकेटर यूसुफ़ पठान को उम्मीदवार बना दिया है. यह सीट इसलिए चर्चा का विषय है क्योंकि कांग्रेस नेता और टीएमसी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी अधीर रंजन चौधरी भी इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने इस पर नाराज़गी ज़ाहिर की और टीएमसी को भाजपा की बी टीम करार दिया है और कहा कि “ममता बनर्जी को डर है कि अगर वह इंडिया गठबंधन में बनी रहीं, तो पीएम मोदी नाखुश होंगे.”
पश्चिम बंगाल में टीएमसी की पहली लिस्ट आने का बाद और भी गर्म हो गई क्योंकि कांग्रेस और टीएमसी के एक साथ आने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे साफ़ हो गया है कि कांग्रेस की करीबी दिखाई दे रही तृणमूल कांग्रेस राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी. हालाँकि कांग्रेस ने टीएमसी के इस कदम को निराशाजनक बताया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने टीएमसी की लिस्ट आने के बाद कहा,”कांग्रेस ने बार-बार पश्चिम बंगाल में टीएमसी के साथ एक सम्मानजनक सीट-बंटवारे समझौते की ख्वाहिश ज़ाहिर की है. कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि इस तरह के समझौते को बातचीत के ज़रिए से हल किया जाना चाहिए, न कि एकतरफा घोषणाओं से.”