‘आपदा’ में ‘अवसर’ तलाशती बीजेपी
आज से ढाई साल पहले 28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। आपको याद होगा कि विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और शिवसेना के रास्ते अलग हो गए थे। दोनों हिंदुत्व की विचारधारा पर चलने
आज से ढाई साल पहले 28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। आपको याद होगा कि विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और शिवसेना के रास्ते अलग हो गए थे। दोनों हिंदुत्व की विचारधारा पर चलने वाली पार्टियां थीं, फिर भी शिवसेना ने अलग राह पकड़ी। उद्धव सरकार ढाई साल चल पाई, फिर ऐसी फूट पड़ी कि आज उद्धव के सामने पार्टी को बचाने की चुनौती है। सीएम की कुर्सी के साथ शिवसेना से भी उन्हें हाथ धोना पड़ सकता है। बागी अब शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन ही उपयोगी बता रहे है। वे बाला साहेब ठाकरे और हिंदुत्व की दुहाई दे रहे हैं। सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली बीजेपी भाजपा भले ही उस समय सरकार न बना पाई हो लेकिन आज उसके पास इस आपदा में कई अवसर नजर आ रहे हैं। देखिए कि वक्त कैसे बदलता है तब ढाई साल पहले बीजेपी सत्ता तक पहुंचने के लिए दोस्त ढूंढ रही थी आज दोस्त बीजेपी को ढूंढ रहे हैं। तो अब क्या महाराष्ट्र में कोई नया अध्याय लिखा जाने वाला है। उद्धव सरकार की असली अग्निपरीक्षा के बीच क्या महाराष्ट्र में होने वाला बड़ा सियासी उलफेर? ये सभी सवाल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के बीच देर रात तक हुई बैठक के बाद महाराष्ट्र में चर्चा में हैं। शिवसेना में घमासान को लेकर अब तक मूकदर्शक बनी बीजेपी खुलकर सामने आ गई है।
बीजेपी ने राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है। आने वाले दो-तीन दिन महाराष्ट्र की सियासत के लिए अहम रहने वाले है। लिहाजा बीजेपी पूरी तरह से एक्शन के मूड में है। मंगलवार को फडणवीस ने अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की उसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर फ्लोर टेस्ट की मांग की। महाराष्ट्र विधानसभा में बाजेपी के कुल 106 विधायक हैं. सभी विधायकों को अगले आदेश तक मुंबई में ही रहने को कहा गया है. शिवसेना के 39 विधायक उद्धव सरकार का साथ छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो महाराष्ट्र सरकार का गिरना तय माना जा रहा है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने राज्य में सरकार बनाने की पूरी तैयारी कर ली है। महाराष्ट्र में बीते कई दिनों से चले आ रहे इस सियासी खेल के बाद अब ये जानना जरूरी है कि आखिर आंकड़ों का समीकरण क्या कुछ कहता है। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की कुल सदस्यों की संख्या 288 है। वहीं बहुमत का आंकड़ा 144 है। बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस का कैंप बहुमत का आंकड़ा पूरी तरह पार करते हुए दिखाई दे रहा है क्योंकि बीजेपी के पास इस वक्त 155 विधायकों का समर्थन मिलते हुए दिखाई पड़ रहा है।
इसको ऐसे समझते हैं बीजेपी के विधानसभा में 106 विधायक हैं. वहीं, उनको 7 निर्दलियों ने पहले से ही समर्थन दिया हुआ है, बहुजन विकास अघाड़ी के 3 विधायक भी उसके साथ हैं। इसके अलावा, एकनाथ शिंदे गुट के 39 निर्दलीय अगर बीजेपी के साथ आ जाते हैं तो इनके पास 155 विधायक हो जाते हैं जो बहुमत के आकड़ें से अधिक है। वहीं दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे की अगर बात की जाए तो शिवसेना के 16 विधायक ही शिवसेना कैंप में दिखाई पड़ रहे हैं। इसके अलावा NCP के पास 53 विधायकों की संख्या है जिनमें से दो विधायक कोरोना से पीड़ित हैं जिस कारण अभी ये साफ नहीं है कि वो वोटिंग में उपस्थित रहेंगे या नहीं। कांग्रेस के आंकड़े पर नजर डालें तो इनके पास 44 विधायक हैं। जिसके बाद MVA का कुल आंकड़ा 116 तक पहुंचता है वहीं, अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि AIMIM के दो विधायक किसके पक्ष में वोट करते हैं।