ब्रेन-डेड महिला ने बचाई तीन ज‍िंदग‍ियां, ल‍िवर और दोनों क‍िडन‍ियों को क‍िया दान

Ghaziabad News : गाजियाबाद की दो बेटियों ने एक अत्यंत साहसिक कदम उठाया, जिससे उनके परिवार की 72 वर्षीय मां का ब्रेन डेड होने के बावजूद दूसरों को नया जीवन मिल सका. यह मामला उस वक्त सामने आया जब गाजियाबाद के इंदिरापुरम की निवासी महिला को गंभीर ब्रेन हैमरेज के बाद मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में भर्ती किया गया.

Dimple Yadav
Dimple Yadav

Delhi-NCR News: गाजियाबाद की 72 वर्षीय ब्रेन-डेड महिला की बेटियों ने उसके अंग दान करके तीन गंभीर रूप से बीमार रोगियों को नया जीवन दिया.अंग - एक लीवर और दो किडनी - को सफलतापूर्वक निकाला गया और तीन प्राप्तकर्ताओं में प्रत्यारोपित किया गया, जिससे डोनर का इंतजार कर रहे परिवारों को राहत और खुशी मिली.

इंदिरापुरम, गाजियाबाद की रहने वाली इस मरीज को दो दिन पहले बेहोशी की हालत में वैशाली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ले जाया गया था.अस्पताल की मल्टीडिसिप्लिनरी मेडिकल टीम द्वारा गहन जांच के बाद उसे ब्रेन हैमरेज और खराब रोग का पता चला और उसे ब्रेन-डेड घोषित कर दिया गया.जीवन बचाने के अवसर को पहचानते हुए, अस्पताल की टीम ने अंगदान पर चर्चा करने के लिए उसके परिवार से संपर्क किया.अस्पताल ने एक बयान में कहा कि उनके निर्णय के व्यापक प्रभाव को समझते हुए, मरीज की बेटियों ने अपनी सहमति दे दी.

ब्रेन-डेड महिला ने बचाई तीन ज‍िंदग‍ियां

निकाले गए अंगों को चिकित्सा संबंधी तात्कालिकता के आधार पर आवंटित किया गया.लिवर को क्रोनिक लिवर रोग से पीड़ित 51 वर्षीय व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया गया, और एक किडनी को मैक्स अस्पताल वैशाली में क्रोनिक किडनी रोग से जूझ रही 43 वर्षीय महिला में प्रत्यारोपित किया गया.दूसरी किडनी को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से पीएसआरआई अस्पताल पहुंचाया गया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह अपने गंतव्य तक जल्दी पहुंच जाए. मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सर्जरी का नेतृत्व डॉक्टरों की एक टीम ने किया, जिसमें डॉ. सुभाष गुप्ता, डॉ. राजेश डे, डॉ. अनंत कुमार और डॉ. नीरू पी. अग्रवाल शामिल थे.

ल‍िवर और दोनों क‍िडन‍ियों को क‍िया दान  

अस्पताल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "सहानुभूति का ऐसा परोपकारी कार्य अंगदान के बारे में जागरूकता की सख्त जरूरत को दर्शाता है और यह बताता है कि यह कई लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित कर सकता है.परिवारों को दुख के क्षणों के दौरान अंगदान पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसे फैसले उन्हें कई लोगों के जीवन को बचाने के लिए सशक्त बना सकते हैं." उन्होंने आगे कहा: "मस्तिष्क मृत्यु के बाद अंगदान करने की हर प्रतिज्ञा करुणा की विरासत का प्रतिनिधित्व करती है जो सीमाओं से परे है और जीवन को गहराई से प्रभावित करती है."

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19 November 2024, 12:09 PM IST

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