केंद्रीय मंत्री का चौंकाने वाला दावा, कहा- न दादा ने, न पिता ने, न मैंने...बिल भरा

Prataprao Jadhav : मोदी सरकार के मंत्री प्रतापराव जाधव ने बुलढाणा में बड़ा बयान दिया है.. मंत्री ने दावा किया कि वह और उनकी तीन पीढ़ियों ने कभी भी कृषि बिजली बिल का भुगतान नहीं किया. उन्होंने कहा कि न तो मेरे दादा, मेरे पिता और न ही मैंने कृषि बिजली बिल का भुगतान किया. महाराष्ट्र के बुलढाणा से शिंदे गुट शिवसेना सांसद प्रतापराव जाधव ने मुख्यमंत्री बलिराजा मुफ्त बिजली योजना 2024 के तहत एक कार्यक्रम में ये बयान दिया है.

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Prataprao Jadhav: महाराष्ट्र के बुलढाणा क्षेत्र शिवसेना सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रतापराव जाधव ने शनिवार को दावा किया कि उनकी तीन पीढ़ियों ने, जिनमें वह भी शामिल हैं. उन्होंने कभी कृषि बिजली बिल नहीं भरा. उन्होंने कहा कि मैं एक किसान हूं. हमने पिछली तीन पीढ़ियों से बिलों का भुगतान नहीं किया है. मेरे दादाजी के पानी के पंप अभी भी वहीं हैं. न तो मेरे दादाजी और न मेरे पिता ने, और न ही मैंने कृषि बिजली बिलों का भुगतान नहीं किया है.

ये बात सांसद प्रतापराव जाधव ने कृषि बिजली बिल माफी योजना पर एक कार्यक्रम में भाषण के दौरान कही, जिस योजना को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुरू किया. प्रतापराव जाधव ने कहा कि अगर वितरण पैनल (DP) जल गया, तो वो नया पैनल लगाने के लिए संबंधित इंजीनियर को 1,000 रुपये से 2,000 रुपये देंगे, जिस योजना कार्यक्रम में उन्होंने ये बात कही उसका नाम ‘मुख्यमंत्री बलिराजा मुफ्त बिजली योजना 2024’ है.

"पीएम मोदी की हर सांसद और विभाग पर पैनी नजर"

सांसद प्रतापराव जाधव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि जैसे- जब दो समान विचारधारा वाले बैल खेत में शामिल हो जाते हैं, तो खेत बेहतर हो जाता है, वैसे ही सरकार भी है. विकास तब होता है जब केंद्र और राज्य सरकार एक जैसी सोच रखती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर सांसद, हर विभाग पर पैनी नजर है. इसके बावजूद हमारा मंत्री बनने के बाद आम आदमी से संपर्क कम होता जा रहा है.

डेढ़ रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से कृषि बिजली बिल 

 राज्य में फिलहाल 46 लाख से ज्यादा कृषि पंप हैं और सरकार 7.5 एचपी तक के कृषि पंपों को मुफ्त बिजली देगी. अजित पवार ने बजट में ऐलान करते हुए कहा था कि इस फैसले से 44 लाख छह हजार किसानों को फायदा होगा. वर्तमान में कृषि उपभोक्ताओं को करीब डेढ़ रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल दिया जाता है. ऐसे में सालाना करीब छह हजार करोड़ रुपये के बिल भेजे जाते हैं, जिसमें से सिर्फ पांच फीसदी यानी 280-300 करोड़ रुपये तक का बिल आता है. कुछ समय पहले ये 8-10 फीसदी तक पहुंच गया था, इसलिए वर्तमान में कृषि पंपों के 95 प्रतिशत बिलों की वसूली नहीं की जा रही है और बिजली फ्री दी जा रही है.

First Updated : Sunday, 22 September 2024