छत्तीसगढ़: इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित राजभवन के कथित पत्र से आरक्षण पर बढ़ी तकरार

आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर जारी घमासान के बीच बुधवार को इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित एक कथित पत्र ने सियासत और गर्म कर दी है। प्रसारित पत्र में राज्य सरकार के आरक्षण विधेयक को लेकर दिए गए बयान और विधि सलाहकार पर की गई टिप्पणी का जिक्र है

रायपुर, छत्तीसगढ़। आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर जारी घमासान के बीच बुधवार को इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित एक कथित पत्र ने सियासत और गर्म कर दी है। प्रसारित पत्र में राज्य सरकार के आरक्षण विधेयक को लेकर दिए गए बयान और विधि सलाहकार पर की गई टिप्पणी का जिक्र है। चार पेज के इस पत्र में राज्यपाल के अधिकार भी बताए गए हैं।

बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजभवन के विधिक सलाहकार पर निशाना साधा था। इसके बाद यह पत्र सामने आया है। पत्र में लिखा है कि राजभवन के विधिक सलाहकार न्यायिक सेवा के जिला जज स्तर के हैैं और हाईकोर्ट की तरफ से नियुक्त होते हैं। उनके खिलाफ टिप्पणी और राजभवन के अधिकारियों के खिलाफ बोलना उपयुक्त नहीं है।

इतना ही नहीं, पत्र में राज्य सरकार की ओर से राजभवन को भेजे गए 10 सवालों के जवाब में भी कमियों को गिनाया जा रहा है। हालांकि इस पत्र को लेकर राजभवन की ओर से कोई भी अधिकारी अधिकृत रूप से बयान देने को तैयार नहीं है।

गिनाए राज्यपाल के अधिकार -

कथित पत्र में राज्यपाल के अधिकार भी गिनाए गए हैंं। संविधान के अनुच्छेद 167 के मुताबिक राज्यपाल को जानकारी देने आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य को बताया है कि राज्य के कार्यो के प्रशासन संबंधी और विधान विषय मामले में मंत्री परिषद के सभी निर्णय राज्यपाल को सूचित किए जाएंगे। राज्य के कार्यो के प्रशासन संबंधित और विधान विषयों में जो जानकारी राज्यपाल मांगे उसे देने के प्राविधान हैं।

अजय चंद्राकर बोले, न्यायालय का अपमान है -

राजभवन के विधिक सलाहकार पर टिप्पणी के बाद भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही बात है कि राज्य और राजभवन दोनों को ही विधिक सलाहकार उच्च न्यायालय से मिलते हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने गरिमा खत्म कर दी है। विधिक सलाहकार पर टिप्पणी न्यायालय का भी अपमान है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्वांटीफाइबल डाटा आयोग का कार्यकाल 10वीं बार 31 दिसंबर तक बढ़ाया गया था। ऐसी क्या स्थिति बनी कि दो दिसंबर को ही रिपोर्ट सरकार ने मंगाया।

विशेष सत्र के नाम पर अनुपूरक बजट भी पास करा लिया है। कथित आयोग की रिपोर्ट सरकार की प्रापर्टी हो सकती है। इसे कैसे बनाया गया है इसे सार्वजनिक करने में क्या दिक्कत है। बार-बार गलत प्रचार कर रहे हैं कि यह सर्वसम्मति से पास हुआ है। हमने दो संशोधन दिए थे। एससी को 13 से 16 प्रतिशत और ईडब्ल्यूूएस को चार से 10 प्रतिशत करने की मांग की थी। जब तक आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी यह कोर्ट में नहीं टिकेगी।

कांग्रेस का पलटवार, कहा चंद्राकर को ज्ञान अजीर्ण हो गया -

प्रदेश कांग्रेस कमेटी संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा नेता अजय चंद्राकर के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि चंद्राकर को ज्ञान का अजीर्ण हो गया है। असली बात यह है कि भाजपा कतई नहीं चाहती है कि आरक्षण संशोधन विधेयक अंतिम रूप ले, इसलिए इसे अटकाने की साजिश है।

राजभवन तक जाकर इसे अटकाने में भाजपा के लोग लगे हैं। विधिक सलाहकार पर टिप्पणी पर कहा कि कोई विधिक सलाहकार केवल सलाह देता है, उसे न्यायालय का दर्जा नहीं मिलता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार यह कह रहे हैैं कि राज्यपाल के विधिक सलाहकार भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर मेें बैठते हैैं।

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29 December 2022, 12:35 PM IST

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