छत्तीसगढ़: धमतरी जिले के ग्राम खरेंगा का बेटा मनीष नेताम लद्दाख में शहीद
देश के लेह लद्दाख सीमा पर ड्यूटी कर रहे ग्राम खरेंगा निवासी सेना के जवान मनीष नेताम शहीद हो गए। घटना की जानकारी मिलते ही स्वजन और गांव में शोक की लहर छा गई है। दो दिन बाद (30 दिसंबर) उनका शव धमतरी लाया जाएगा
धमतरी, छत्तीसगढ़। देश के लेह लद्दाख सीमा पर ड्यूटी कर रहे ग्राम खरेंगा निवासी सेना के जवान मनीष नेताम शहीद हो गए। घटना की जानकारी मिलते ही स्वजन और गांव में शोक की लहर छा गई है। दो दिन बाद (30 दिसंबर) उनका शव धमतरी लाया जाएगा। वहीं घर आने के बाद गांव में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बता दें कि स्वजनों को मनीष के शव आने का इंतजार है। वह मराठा रेजिमेंट में पदस्थ होकर ड्यूटी कर रहा था।
धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत खरेंगा है। यहां के मनीष नेताम पुत्र राजेन्द्र नेताम 24 वर्ष पिछले तीन सालों से सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं। वर्तमान में वह देश के लेह-लद्दाख सीमा पर ड्यूटी कर रहे थे। 28 दिसंबर की सुबह लेह-लद्दाख में ड्यूटी के दौरान उन्हें अचानक सांस में तकलीफ हुआ। अन्य जवानों ने उन्हें उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
जवान मनीष नेताम के बलिदान होने की जानकारी सेना के माध्यम से घर में दी गई। इस खबर के मिलते ही गांव में शोक की लहर छा गई है। गांव के सुभाष साहू और हिरेन्द्र साहू ने बताया कि बलिदान का शव 30 दिसंबर को गांव में पहुंच जाएगा, इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इधर शहीद के माता-पिता को अपने इकलौते बेटे के शव आने का इंतजार है।
शहीद मनीष इकलौता पुत्र था -
शहीद मनीष नेताम इकलौता बेटा था। उनके पिता राजेन्द्र नेताम मजदूर है और मां आंगनबाड़ी में सहायिका है। उनके एक बहन खिलेश्वरी है, जिनकी शादी हो चुकी है। उनके पति भी सेना में है, जो देश सेवा कर रहे हैं। मनीष नेताम की पढ़ाई-लिखाई गांव के स्कूल में हुई है। वह बचपन से ही मेधावी रहा है और गरीबी के बीच कठिन मेहनत करके सेना ज्वाइन किया था।
मड़ई कार्यक्रम स्थगित -
ग्रामीणों ने बताया कि 29 दिसंबर को ग्राम पंचायत खरेंगा में मड़ई-मेला का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम की पूरी तैयारी हो गई है। मंच व मड़ई स्थल सज गया था, लेकिन गांव का बेटा मनीष नेताम के बलिदान होने की जानकारी मिलने के बाद गांव में शोक की लहर है। शहीद के श्रद्धांजलि के सामने मड़ई-मेला मायने नहीं रखता, ऐसे में यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। अब पूरे गांव को बलिदान मनीष नेताम के पार्थिव शरीर गांव आने का इंतजार है।
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