संबाददाता- मोहित साहू (छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश)
मध्यप्रदेश। छिंदवाड़ा अमरवाड़ा नेशनल हाईवे बना गड्ढों का भंडार जिससे गुजरने के बाद आपके साथ क्या घटना घट जाए इसका अनुमान नामुमकिन है। नेशनल हाईवे की खासियत यह है कि हजारों की संख्या पर 2 से 4 फिट छोटे-बड़े गड्ढे हैं। छिंदवाड़ा से नरसिंहपुर नेशनल हाईवे मुख्य मार्गों की सड़कों में चलना इन दिनों किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
सैकड़ो लोग मौत का शिकार हो चुके हैं, हजारो की संख्या में ट्रक निकलते है, लंबा जाम लग जाता है, रात में गड्ढे नही दिखाई नहीं पड़ते, दिनों दिन यह गड्ढे, मौत के गड्ढे बनते जा रहे हैं। कहने को तो छिंदवाडा एक मॉडल पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि एनएच के जिम्मेदार अधिकारी छिंदवाडा मॉडल पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं।
छिंदवाडा से नरसिंहपुर की दूरी मात्र 70 किलो मीटर की है, लेकिन सड़क की हालत खस्ता होने के कारण 5 से 6 घंटे लग जाते है। यात्रियों को इस मार्ग से आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दोपहिया वाहन चालक और चारपहिया वाहन चालकों को वाहनों को चलाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन लगातार हो रहे बड़े-बड़े हादसों के बाद भी सबंधित विभाग कोई सुध या सबक लेने को तैयार नही हैं।
अमरवाड़ा से छिन्दवाड़ा तक सडक में बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैं। तो वहीं सिंगोड़ी पेंच नदी के पास और सबसे ज्यादा दुर्घटना होती है। उसके बाद भी प्रशासन और एनएच के अधिकारी कुंभकरण की नींद लेते हुए, अपनी आंखों को मूंदकर लोगों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आखिर कब तक नेशनल हाईवे के इन गड्ढों से लोगों की जान के साथ खिलवाड़ होता रहेगा और शासन-प्रशासन शांत बैठा रहेगा। लोगो की जानें, मौतों में तब्दील होती रहेंगी।
कई दिनों से क्षेत्र के लोग इस मार्ग के गड्ढों पर डामरीकरण की मांग कर रहे है और एनएच के द्वारा सिर्फ और सिर्फ इन बड़े-बड़े गड्ढों को भरने के कार्य में लीपापोती कर खाना पूर्ति कर रहे है। जो कि जानलेवा बन रहे है, करोड़ों रूपए सड़क और गड्ढों की मरम्मत के लिए सरकार द्वारा दिया जाता है।
किंतु ठेकेदार और एनएच के अधिकारियों द्वारा लीपापोती कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजमार्ग में 290 करोड रुपए का डामरीकरण किया गया था। जो महज 6 महीनों में उखड़ गई और रोड में गड्ढा है या गड्ढे में रोड है जैसी स्थिति राजमार्ग में बन गई है। एनएच के प्रशासनिक अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग नहीं करते हैं, जिसका खामियाजा भोली भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है। First Updated : Monday, 10 October 2022