'बिहार में कांग्रेस का बड़ा दावं: दो डिप्टी सीएम, एक मुस्लिम तो दूसरा सवर्ण – क्या महागठबंधन में बढ़ेगा तनाव?'
बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव के लिए सियासी हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस नेता शाहनवाज आलम ने कहा है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी, तो राज्य में दो डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे— एक सवर्ण जाति से और दूसरा मुस्लिम समाज से. इस बयान के जरिए कांग्रेस ने महागठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है. आलम के इस दावे से राजनीति में नया विवाद पैदा हो गया है और अब सबकी नजरें इस पर हैं कि कांग्रेस की ये रणनीति क्या रंग लाती है. जानिए पूरी कहानी!
2 Deputy CMs for Bihar: बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने लगी है. सत्ता में आने की जंग तेज हो गई है और हर पार्टी अपने पक्ष में आंकड़े जुटाने के लिए दबाव बना रही है. बिहार कांग्रेस के सचिव प्रभारी शाहनवाज आलम ने महागठबंधन की सरकार बनने पर बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि अगर 2025 में महागठबंधन की सरकार बनती है, तो राज्य में दो डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे— एक सवर्ण जाति से और दूसरा मुस्लिम समाज से.
कांग्रेस का संकल्प— दो डिप्टी सीएम की नियुक्ति
शाहनवाज आलम ने लखीसराय में एक बयान देते हुए कहा, “बिहार में अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो दो डिप्टी सीएम होंगे. एक डिप्टी सीएम सवर्ण जाति से होंगे और दूसरे मुस्लिम समाज से होंगे.” यह बयान एक ऐसे समय पर आया है जब बिहार महागठबंधन में कई विवाद सामने आ रहे हैं. ममता बनर्जी द्वारा इंडिया गठबंधन को लीड करने की बात की जा रही थी, जिस पर आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने उनका समर्थन किया. अब कांग्रेस ने भी अपनी तरफ से आरजेडी को जवाब दिया है और यह बयान इसी की कड़ी में देखा जा रहा है.
कांग्रेस की रणनीति: दबाव बनाने का तरीका?
शाहनवाज आलम के इस बयान के पीछे कांग्रेस की रणनीति को लेकर भी कई कयास लगाए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस ने इस बयान को महागठबंधन में दबाव बनाने के लिए दिया है. इससे उनका इरादा लालू यादव और राष्ट्रीय जनता दल पर दबाव बनाना है, ताकि कांग्रेस का पारंपरिक जनाधार वापस मिल सके. कांग्रेस अब दलित, मुसलमान और सवर्ण जाति वर्ग को साथ लाने की कोशिश कर रही है.
कांग्रेस और आरजेडी के बीच की खींचतान
बिहार के सियासी समीकरण में कांग्रेस और आरजेडी के बीच की खींचतान भी चर्चा का विषय बनी हुई है. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बिहार में नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल तीन सीटें ही जीत सकी. वहीं आरजेडी ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे केवल चार सीटों पर ही जीत मिली. इस असंतोष को लेकर कांग्रेस ने अपनी स्थिति को बेहतर मानते हुए अब खुद को महागठबंधन में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में पेश किया है.
शाहनवाज आलम का बयान— महागठबंधन की सरकार के लिए बड़ी चुनौती
इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं. क्या यह बयान महागठबंधन में अंदरूनी राजनीति को लेकर एक दबाव की रणनीति है, या कांग्रेस खुद को मजबूती से पेश करना चाहती है? आने वाले समय में इस बात का खुलासा होगा कि क्या कांग्रेस अपने इस रुख को बनाए रखेगी, और बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में किस प्रकार की रणनीति के साथ मैदान में उतरेगी.
बहरहाल, बिहार की राजनीति में अब आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है. महागठबंधन और भाजपा के बीच की जंग और भी दिलचस्प होने वाली है, क्योंकि इस बार कांग्रेस ने महागठबंधन में अपनी जगह मजबूत करने के लिए अपने बयान और कदम उठाए हैं.