'CM बनते ही बदल गए सुर...', EVM के मुद्दे पर अब्दुल्ला ने दी नसीहत तो भड़की कांग्रेस
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम को लेकर राजनीति गरमाई हुई है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने उमर अब्दुल्ला ने ईवीएम का समर्थन किया और कांग्रेस को नसीहत भी दे डाली.
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि वह EVM को लेकर अपनी शिकायतें बंद करे और चुनाव नतीजों को स्वीकार करे. सीएम अब्दुल्ला के बयान के बाद कांग्रेस का पारा चढ़ गया है. उसकी पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. कांग्रेस ने पूछा है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद हमारे सहयोगियों का ऐसा रवैया क्यों हो जा रहा है?
कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने कहा, ‘समाजवादी पार्टी, एनसीपी और शिवसेना-यूबीटी ने ईवीएम के खिलाफ बोला है. सीएम उमर अब्दुल्ला कृपया अपने तथ्यों की जांच करें. कांग्रेस सीडब्ल्यूसी का प्रस्ताव स्पष्ट रूप से केवल चुनाव आयोग के सामने उठाता है. सीएम बनने के बाद हमारे सहयोगियों के प्रति ऐसा रवैया क्यों?’
क्या बोले अब्दुल्ला?
एक इंटरव्यू के दौरान उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ईवीएम को हार के लिए बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए. कांग्रेस चुनाव परिणामों को स्वीकार करे और ईवीएम का रोना बंद करे. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि जब आप चुनाव जीतें तो आप परिणाम स्वीकार कर लें और जब हार जाएं तो ईवीएम पर दोष मढ़ दें. बता दें कि बीजेपी ने भी ईवीएम को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा था.
सीएम अब्दुल्ला ने कहा जब संसद के सौ से अधिक सदस्य एक ही ईवीएम का इस्तेमाल कर कांग्रेस को मिले हैं और आप इसे अपनी पार्टी की जीत के रूप में मनाते हों तो आप कुछ महीने बाद पलटकर यह नहीं कह सकते कि हमें ये ईवीएम पसंद नहीं हैं क्योंकि अब चुनाव परिणाम उस तरह नहीं आ रहे हैं, जैसा आप चाहते हैं.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की तारीफ
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने दिल्ली में मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा परियोजना की भी तारीफ की और कहा कि नया संसद भवन बनाना एक बेहतरीन विचार था. हमें नए संसद भवन की आवश्यकता थी. पुराना अपनी उपयोगिता से बाहर हो गया था.
कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस में बढ़ रही दूरियां!
उमर अब्दुल्ला की इस टिप्पणी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच बढ़ते मतभेदों को और उभार कर रख दिया है. उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी निराशा व्यक्त की, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कैंपेन की अधिकांश जिम्मेदारी उठाई. 90 सदस्यीय विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को केवल छह सीटें मिलीं.