हरियाणा में कांग्रेस का छुपा एजेंडा, हुड्डा सरकार ने कैसे किया अपने पसंदीदा क्षेत्रों को अमीर

Congress Politics In Haryana: क्या कांग्रेस के शासन में हरियाणा के कुछ ही क्षेत्रों को विशेष लाभ मिला भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते, राज्य के विकास संसाधनों का एकतरफा आवंटन कैसे किया गया जानिए कैसे गुड़गांव में बड़े पैमाने पर वसूली के बावजूद, विकास के नाम पर सिर्फ दिखावे की राजनीति हुई और सबसे चौंकाने वाली बात, आदर्श गांव योजना में केवल एक ही जिले को अत्यधिक प्राथमिकता दी गई. इस भेदभावपूर्ण खेल के पीछे के राज को जानने के लिए पूरी खबर जरूर पढ़ें.

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Congress Politics In Haryana: हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस के शासन के दौरान, विशेषकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते, राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के बीच विकास में गंभीर असमानता देखने को मिली. हुड्डा सरकार ने एकतरफा तरीके से विकास संसाधनों को कुछ विशेष क्षेत्रों में केंद्रित किया जिससे बाकी जिलों को उपेक्षित छोड़ दिया गया.

पहले बात करते है रोहतक की. दरअसल हुड्डा सरकार की आदर्श ग्राम योजना में सबसे अधिक प्राथमिकता रोहतक को दी गई, जहां उनके अपने गृह जिला होने के कारण विशेष ध्यान दिया गया. जब 65 गांवों को आदर्श गांव बनाने की बात आई तो सिरसा, महेंद्रगढ़ और पंचकूला जैसे जिलों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया. चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 36% आदर्श गांव केवल दो जिलों से थे और रोहतक सबसे बड़े लाभार्थी के रूप में उभरा.

गुड़गांव में कुप्रबंधन और भेदभाव

गुड़गांव में एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेज (EDC) के तहत 5,000 करोड़ रुपये वसूले गए थे लेकिन हुड्डा सरकार ने इस बात को स्वीकार किया कि वे इनमें से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि को विकास कार्यों पर खर्च नहीं कर पाई. दरअसल यह रकम गुड़गांव के निवासियों से वसूली गई थी और सरकार का इसे खर्च करने में कुप्रबंधन साफ दर्शाता है कि इन संसाधनों का सही उपयोग नहीं किया गया.

कांग्रेस के भेदभावपूर्ण संसाधन आवंटन

2004-05 से 2013-14 के बीच हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (HUDA) द्वारा जुटाए गए संसाधनों को भी पक्षपातपूर्ण तरीके से वितरित किया गया. रेवाड़ी, चरखी दादरी, भिवानी, महेंद्रगढ़, जींद, हिसार, फतेहाबाद, कैथल, सिरसा और यमुनानगर जैसे जिलों में विकास की कोई ठोस झलक देखने को नहीं मिली, जबकि इन जिलों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया था.

जनता की निराशा और अवहेलना

कांग्रेस के शासन में विकास की घोषणाएं अक्सर एक विशेष क्षेत्र तक ही सीमित रहती थीं और पूरे राज्य को उपेक्षित छोड़ दिया गया. जनता ने अपनी सरकार से कोई उम्मीद रखना लगभग बेमानी मान लिया था क्योंकि कांग्रेस की इस प्रवृत्ति ने राज्य के बहुसंख्यक क्षेत्रों को निराशाजनक स्थिति में छोड़ दिया था. कांग्रेस की यह क्षेत्रीय भेदभावपूर्ण नीति न केवल एक विशेष समुदाय और क्षेत्र को प्राथमिकता देती थी, बल्कि राज्य की अधिकांश जनसंख्या को पूरी तरह से उपेक्षित कर देती थी. 

First Updated : Friday, 13 September 2024