भारतीय ज्ञान शोध संस्थान द्वारा ‘दीक्षांत समारोह 2022’ का भव्य आयोजन हुआ

भारतीय ज्ञान शोध संस्थान द्वारा संचालित ज्योतिष कोर्स के गत तीन वर्ष के विद्यार्थियों का दीक्षांत समारोह 2022 का आयोजन किया गया जिसमें देशभर से लगभग 450 विद्यार्थी एवं उनके परिवार जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माँ एवं स्वामी विवेकानंद जी के समक्ष

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05 December 2022, 07:30 PM IST

भारतीय ज्ञान शोध संस्थान द्वारा संचालित ज्योतिष कोर्स के गत तीन वर्ष के विद्यार्थियों का दीक्षांत समारोह 2022 का आयोजन किया गया जिसमें देशभर से लगभग 450 विद्यार्थी एवं उनके परिवार जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माँ एवं स्वामी विवेकानंद जी के समक्ष दीलप्रज्जवलन से हुआ उसके उपरांत मुख्य अतिथि, सोसाइटी ऑफ वास्तु साइंस के चेयरमैन एवं वीर चक्र प्राप्त कर्नल (सेवा निवृत्त) टी.पी. त्यागी, समस्त आचार्यगणों श्रीमती बरखा सिंघल, श्रीमती अलका शर्मा, श्रीमती ज्योति व्यास, श्रीमती स्नेहा अनेजा तथा पुरोहित श्री हरि शर्मा जी को उपहार भेंटकर सम्मानित किया गया।

तदुपरांत परमपूज्य श्रीगुरु जी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि तीन वर्ष में ज्योतिष सीखना संभव नहीं है इसका अभ्यास करते रहिये, नोट्स पढ़ते रहिये। ज्ञान का आदि तो तो होता है पर अंत नहीं होता। ज्ञान का नवीनीकरण होता है यदि उसका नवीनीकरण नहीं होता तो ज्ञान मृत हो जाता है। आप इसकी वैज्ञानिकता का प्रसार कीजिये, वैज्ञानिकता से ही ज्योतिष और ज्योतिषी का सम्मान बढ़ता है, हमें और शोध करना चाहिए। ज्योतिषी भारतीय संस्कृति का रक्षक भी है।

तदुपरांत मुख्य अतिथि कर्नल (सेवा निवृत्त) टी.पी. त्यागी जी कहा कि ज्योतिष या अन्य भारतीय परंपरा कोई दकियानूसी बातों का पुलिंदा नहीं है यह विज्ञान पर आधारित भारतीय ज्ञान है। आप किसी भी ज्ञान को ऐसे न स्वीकारें, जो सच्चाई और तर्क पर खरा उतरे, उसी ज्ञान को आत्मसात करें। दुनिया में कोई चीज ऐसी नहीं है जो देश, काल, पात्र के अनुसार न बदलती हो, ऐसे ही ज्योतिष के कुछ प्राचीन सिद्धांतों को आज के परिवेश के अनुसार बदलना बदलना चाहिए। 

तत्पश्चात अन्य आचार्यगणों ने एक-एक कर विद्यार्थियों को संबोधित किया व ज्योतिष विद्या को सही मायने में सीखने व इस विज्ञान के पुरोधा बनने के लिए प्रेरित किया। अंत में आदरणीय गुरु माँ ने सन्देश देते हुए कहा कि यह दीक्षांत है परन्तु यह रिश्ते का अंत नहीं है, आप सभी देश, धर्म, संस्कृति व समाज कल्याण के साथ कदम बढ़ाइए। फिर सभी बैच में शीर्षस्थ तीन स्थान पाने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक से सम्मानित कर अन्य विद्यार्थियों के साथ सामुहिक फ़ोटो लिया गया। फिर धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम पूर्ण हुआ। 

पूर्ण गणवेश अर्थात भारतीय परिधान के साथ पगड़ी व पटका धारण किये हुए विद्यार्थी बहुत उत्साहित एवं प्रसन्न थे। ज्ञातव्य हो कि संस्थान की स्थापना 28 नवंबर 2010 को प्रो. पवन सिन्हा 'गुरुजी' द्वारा इस उद्देश्य से की गई कि भारतीय ज्ञान की वैज्ञानिक परंपराओं का पुनर्जागरण किया जा सके। यह संस्थान भारतीय प्राच्य विद्याओं जैसे योग, ज्योतिष, आयुर्वेद, इतिहास, धर्म, दर्शन व संस्कृति और बच्चों और युवाओं से संबंधित विभिन्न विषयों पर निरंतर कक्षाएं, वेबिनार, सेमिनार भी आयोजित करता है। शोध पत्र, पत्रिकाओं, पुस्तकों और ई-पत्रिकाओं का प्रकाशन भी संस्थान द्वारा किया जाता है।

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