जिंदा हो जाते हैं शव अनोखी परंपरा! पढ़िए पयहारी बाबा के अनसुने किस्से

Ajab Gajab: बिहार के सारण जिले का एक अनोखा मामला सामने आया है. यहाँ पर काफी मशहूर पयहारी बाबा की मठिया है. जिसको पयहारी धाम भी कहा जाता है. सबसे पहले यहां पायहारी बाबा के द्वार शिव मंदिर स्थापित किया गया था. यहाँ पर पयहारी बाबा की पूजा करते थे. उनके समाधि लेने के बाद उस मंदिर का नाम पयहारी धाम रख दिया गया. इस मठिया का इतिहास एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना बताया जा रहा है. तो आइए आर्टिकल में जानते हैं पयहारी बाबा को लेकर कुछ रोचक कहानी...

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Ajab Gajab: बिहार के सारण जिले का एक अनोखा मामला सामने आया है. यहाँ पर काफी मशहूर पयहारी बाबा की मठिया है. जिसको पयहारी धाम भी कहा जाता है. सबसे पहले यहां पायहारी बाबा के द्वार शिव मंदिर स्थापित किया गया था. यहाँ पर पयहारी बाबा की पूजा करते थे. उनके समाधि लेने के बाद उस मंदिर का नाम पयहारी धाम रख दिया गया. इस मठिया का इतिहास एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना बताया जा रहा है. तो आइए आर्टिकल में जानते हैं पयहारी बाबा को लेकर कुछ रोचक कहानी...

गांव में नहीं था एक भी पंडित

इस गांव की ऐसी मान्यता है कि यहां पर पंडित नहीं थे. इसकी वजह से पूजा पाठ और अन्य मांगलिक कार्य करने में हिंदू परिवार लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. इसके बाद गांव के लोगों ने पंडित परिवार को बसाने का फैसला लिया है और उत्तर प्रदेश के एक पंडित परिवार को लाकर गांव में स्थान दे दिया उस पंडित का एक पुत्र था कुछ दिन पंडित की मौत किसी कारणवश हो जाती है.

गलत करने पर मठिया बाबा देते हैं गांववासियों को सजा

इस बात की जानकारी जब गांव के लोगों को हुई तो काफी संख्या में पयहारी बाबा के पास पहुंच गए उसके बाद पूजा पाठ होने लगा और बाबा का जयकारा होने लगा. उसी समय से परंपरा है कि मृत्यु के बाद लोग शव को पयहारी बाबा मठिया के पास रखते हैं. यहीं नहीं लोग यह भी कहते हैं कि अगर किसी के साथ गलत हुआ रहता है तो वह मठीया का कसम खा लेता है, इसके बाद  उसे एक महीना अदर रिजल्ट मिल जाता है. 

गांव वालों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर से डेढ़ किलोमीटर दूर पयहारी बाबा का हवन कुंड है. जहां पर अष्ट जाम करवाने के लिए दिन रख दिया जाता है तो क्षेत्र में बारिश होने लगता है. यहीं नहीं हवन कुंड में हवन होता तो डे़ढ़ किलोमीटर दूर मंदिर में धुआ निकलने की बात कही जाती है.

चिता से जिंदा हो गए था पयदारी बाबा का इकलौता पुत्र

पयदारी बाबा के इकलौते पुत्र इस गांव में रहता था वह लोगों के घर पूजा- पाठ भी करवा देता था लेकिन  कुछ दिनों बाद पंडित के पुत्र की मौत हो गई. उसके बाद गांव के लोगों में मातम छा गया और सब रोने लगे. आखिर में चिता सजाकर लोग ले जा रहे थे तो तो पयहारी बाबा ने पूछा क्या हुआ है. गांव एवं परिवार के लोग बताकर रोने लगे, उसके बाद पयहारी बाबा ने कहा कि आप लोग घर जाइए, सब लोग घर चले गए, उसके बाद पंडित जी का मृत्यु बच्चा जिंदा होकर घर लौट गया.

First Updated : Sunday, 30 June 2024