छत्तीसगढ़ में हाथियों की करंट से मौत पर हाई कोर्ट का फूटा गुस्सा, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग!

छत्तीसगढ़ में करंट से हाथियों और अन्य वन्य जीवों की लगातार हो रही मौतों पर हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने ऊर्जा विभाग से सवाल किया है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. खासकर रायगढ़ में हुई तीन हाथियों की मौत पर अदालत ने कड़ी आपत्ति जताई है और पूछा है कि नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया. अब सबकी नजरें 20 नवंबर की अगली सुनवाई पर हैं. जानें, क्या कदम उठाए जाएंगे ताकि वन्य जीवों को बचाया जा सके

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Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ में हाथियों और अन्य वन्य जीवों की करंट से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और अब इस पर राज्य हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने राज्य के ऊर्जा विभाग से सवाल पूछा है कि आखिर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. यह मामला छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में हाल ही में हुई तीन हाथियों की मौत से जुड़ा हुआ है, जो करंट लगने के कारण मारी गई थीं.

रायगढ़ में तीन हाथियों की दर्दनाक मौत

रायगढ़ वन मंडल के चुहकीमार वन क्षेत्र में तीन मादा हाथियों की मौत करंट से हो गई थी. इनमें एक शावक भी शामिल था. यह घटना तब हुई जब 11 केवी का बिजली का तार जमीन से केवल 3-4 मीटर ऊपर लटक रहा था और इन हाथियों ने इन तारों को छुआ, जिससे उनकी मौत हो गई. इसके बाद राज्य हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और ऊर्जा विभाग को कड़ी फटकार लगाई.

कोर्ट ने सवाल किया कि जब यह स्पष्ट नियम है कि कृषि और वन क्षेत्र से गुजरने वाले बिजली के तार जमीन से कम से कम 7.5 मीटर ऊंचे होने चाहिए, तो यह नियम क्यों नहीं निभाया गया. इसके अलावा, खुले तारों के बजाय इंसुलेटेड केबल का इस्तेमाल करने की जरूरत पर भी अदालत ने जोर दिया.

हाई कोर्ट ने क्यों उठाए सवाल?

हाई कोर्ट ने राज्य के ऊर्जा विभाग और बिजली वितरण कंपनी के अधिकारियों से यह भी पूछा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या इन मौतों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है या नहीं. इस मामले में अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.

2001 से अब तक 78 हाथियों की मौत

हाई कोर्ट ने यह भी बताया कि 2001 से लेकर अब तक राज्य में करंट लगने से कुल 78 हाथियों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा, हाल ही में करंट लगने से अन्य वन्य जीवों की भी मौत हो चुकी है. 1 नवंबर 2024 को बिलासपुर वन मंडल के तखतपुर वन क्षेत्र में करंट लगने से एक हाथी के शावक की मौत हो गई और 10 अक्टूबर को कांकेर जिले में तीन भालुओं की भी करंट से मौत हुई थी. अक्टूबर महीने में ही कुछ घटनाओं में इंसानों की मौत भी हुई है, जो करंट लगने से हुए थे.

वन्य जीवों के लिए सुरक्षा की कमी

यह घटनाएं यह साबित करती हैं कि छत्तीसगढ़ में वन्य जीवों की सुरक्षा के मामले में अभी भी गंभीर कमी है. बिजली विभाग की लापरवाही और नियमों का पालन न करने से न केवल हाथियों बल्कि अन्य वन्य जीवों की जान भी खतरे में पड़ रही है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले पर गंभीर सवाल उठाए हैं और राज्य के ऊर्जा विभाग को कड़ी चेतावनी दी है कि यदि इन घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में वन्य जीवों की मौतों का बढ़ता सिलसिला और हाई कोर्ट की नाराजगी यह साफ करता है कि विभागीय लापरवाही को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ऐसे दर्दनाक हादसों से बचा जा सके. First Updated : Wednesday, 06 November 2024