6 दिसंबर को महाराष्ट्र में महापरिनिर्वाण दिवस, क्या खुलेगा क्या बंद रहेगा जानिए!
महाराष्ट्र सरकार ने 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में छुट्टी घोषित की है। इस दिन सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे, लेकिन बाजार खुलेंगे या नहीं, यह अभी तक साफ नहीं है। वहीं, मुंबई में श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए लाखों लोग शिवाजी पार्क पर एकत्र होंगे। मध्य रेलवे ने 14 विशेष ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है। जानिए इस दिन की पूरी योजना और क्या बदलाव होंगे!
December 6 Maharashtra Holiday: महाराष्ट्र सरकार ने 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में स्थानीय अवकाश घोषित किया है. यह छुट्टी मुंबई और उपनगरों में सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी कार्यालयों में लागू होगी। डॉ. अंबेडकर का निधन इसी दिन 1956 में हुआ था, और हर साल इस दिन को विशेष रूप से उनके योगदान को याद करते हुए मनाया जाता है।
बाजार खुलेंगे या नहीं?
'भारत रत्न' डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर संविधान के जनक हैं और करोड़ों भारतीयों के प्रेरणा स्त्रोत हैं।
— Congress (@INCIndia) December 4, 2024
हाल ही में सरकार ने संविधान के प्रति समर्पित होकर बाबासाहेब की 75वीं वर्षगांठ भी मनाई है।
6 दिसम्बर को उनके महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर देशभर से लाखों लोग मुंबई स्थित दादर… pic.twitter.com/JpJQjVqsnv
विशेष ट्रेनें: चैतन्यभूमि तक पहुंचना हुआ आसान
महापरिनिर्वाण दिवस पर भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए मध्य रेलवे ने 14 विशेष रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी। ये ट्रेनें औरंगाबाद, आदिलाबाद, नागपुर और शोलापुर से चलकर मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस तक पहुंचेंगी। इसके अलावा, लोकल ट्रेनों की सुविधा बढ़ाते हुए 12 अतिरिक्त उपनगरीय ट्रेनों की भी घोषणा की गई है, जिनमें 6 मुख्य लाइन पर और 6 हार्बर लाइन पर चलाई जाएंगी।
यात्रियों की सुरक्षा के लिए 300 अतिरिक्त रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) कर्मियों की तैनाती की जाएगी।
चैतन्यभूमि पर श्रद्धांजलि का आयोजन
मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित चैतन्यभूमि पर बड़ी संख्या में लोग एकत्र होकर डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यहां बाबा साहेब का अंतिम संस्कार किया गया था, और यह स्थान हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता है।
डॉ. अंबेडकर: एक महान नेता की कहानी
14 अप्रैल 1891 को जन्मे डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय इतिहास के उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने समाज में बदलाव लाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। दलितों के अधिकार, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ उनकी लड़ाई ने उन्हें भारतीय संविधान के निर्माता और आधुनिक भारत के महानायक के रूप में स्थापित किया।
डॉ. अंबेडकर कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले भारतीयों में से एक थे। 1927 में उन्होंने महाड़ सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जहां उन्होंने दलित समुदाय के लिए सार्वजनिक जलस्रोतों के उपयोग का अधिकार दिलाने का प्रयास किया।
भारत रत्न से सम्मानित
डॉ. अंबेडकर को 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका जीवन और संघर्ष हर भारतीय को प्रेरित करता है।
महापरिनिर्वाण दिवस: केवल एक अवकाश नहीं, एक प्रेरणा
डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथि पर दिया गया यह अवकाश उनके विचारों और योगदानों को याद करने का एक मौका है। 6 दिसंबर को, चाहे आप चैतन्यभूमि जा रहे हों या उनके विचारों पर चिंतन कर रहे हों, इस दिन का महत्व हर भारतीय के दिल में गूंजता है।