पुलिस के आदेश पर कलह! हड़बड़ी में गड़बड़ी vs हिंदुओं को समान अधिकार
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर पुलिस और प्रशासन का एक आदेश सियासी गलियारों में गूंज रहा है. इस आदेश के खिलाफ NDA के सहयोगी ही नहीं भाजपा के नेता भी मुखर हो गए हैं. पुलिस ने निर्देश दिया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाली दुकानों और ठेलों पर उनके मालिकों के नाम लिखा जाएगा. हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद पुलिस ने अपने आदेश पर सफाई दी है.
UP News: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर पुलिस और प्रशासन का आदेश विवाद का विषय बन गया है. इसके खिलाफ सहयोगियों के साथ-साथ BJP नेता भी मुखर हो गए हैं. भाजपा के सहयोगी दल जदयू और रालोद तथा वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने पुलिस के उस आदेश पर सवाल उठाए हैं जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों और ठेलों पर उनके मालिकों के नाम दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे. इतना ही नहीं विपक्ष ने इसपर तंज कसा है और कई सामाजिक लोगों ने इसे गलत बताया है.
चौतरफा आलोचना का शिकार होने के बाद मुजफ्फरनगर पुलिस ने सफाई दी है. इसमें कहा गया है कि दुकानदार अपने और अपने कर्मचारियों के नाम अपनी मर्जी से प्रदर्शित कर सकते हैं. ये स्वेक्षिक है. इसके लिए किसी पर कोई दबाव नहीं है. हालांकि, भाजपा ने बचाव करते हुए कहा कि इससे उपवास करने वाले हिंदुओं को शुद्ध शाकाहारी भोजन करने का विकल्प मिलेगा. इस नियम से सात्विक भोजन की संभावना बढ़ जाती है.
सहयोगी हुए मुखर
जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश सहित देश भर में कई स्थानों पर कांवड़ यात्रा निकाली जाती है. कभी भी कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ. अगर कुछ असामाजिक तत्व हैं तो पुलिस उनसे निपटने में सक्षम है. हम धार्मिक स्तर पर सीमांकन करेंगे, तो सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचेगा. जहां से यात्रा गुजरती है, वहां कई स्थानों पर 30-40% आबादी मुस्लिम है. वे सहयोग करते आए हैं लेकिन ऐसे आदेशों से विभाजन पैदा होता है.
रालोद प्रवक्ता अनिल दुबे ने भी इसपर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करनी चाहिए. लोगों को दुकानों पर अपना नाम प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है. ये काम प्रशासन का काम नहीं है.
नकवी ने दी सलाह
भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कुछ अतिउत्साही अधिकारियों के आदेश गड़बड़ी करने वाले. आस्था का सम्मान होना ही चाहिए लेकिन अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए. आस्था के बारे में किसी से कोई उपदेश नहीं चाहिए.
भाजपा ने किया बचाव
भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि दो दशक पहले मुंबई में सभी भोजनालयों में भोजनालय का नाम, मालिक, संपर्क नंबर लिखा जाता था. ये उत्तर प्रदेश है. भारत की धर्मनिरपेक्षता इतनी कमजोर नहीं हो सकती कि मालिक/कर्मचारियों लिखने से ये बाधित हो जाए. क्या हिंदुओं को समान अधिकार देना पाप है?
इतना ही नहीं मालवीय ने आगे कहा कि धर्मनिरपेक्षतावादियों का ये मानना है कि आदेश मुसलमानों के खिलाफ है. क्योंकि वे जानते हैं कि कई मुसलमान कोचिंग संस्थानों से लेकर खाने-पीने की दुकानों तक अपना व्यापार हिंदू नाम से चलाते हैं.
क्या था आदेश?
कुछ समय पहले प्रशासन ने आदेश दिया था. इसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर कुछ खाद्य पदार्थ विक्रेताओं की दुकानों के नाम से भ्रम की स्थिति पैदा हुई है. पिछले साल इससे विवाद भी बढ़े हैं. इस साल ऐसा न हो इस कारण श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते विक्रेताओं से अनुरोध है कि अपनी दुकान पर वो अपना नाम लिखें. हालांकि, इस आदेश में ये भी कहा गया था कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी तरह का धार्मिक मतभेद पैदा करना नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए है.