1 किलो सोना, 23 करोड़ रुपये नकद!, राजस्थान के इस मंदिर को मिला इतना दान, दांतो तले उंगली दबा लेंगे आप

Sanwariya Seth Mandir: चित्तौड़गढ़ से लगभग 40 किलोमीटर दूर सांवलिया सेठ मंदिर के खजाने की जब गिनती शुरू हुई तो इसे जान सभी चौंक गए. दरअसल भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर में भक्तों ने 1 किलो सोना और करीब 23 करोड़ रुपए नकद दान में किए गए थे.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Sanwariya Seth Mandir: चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ मंदिर का खजाना हाल ही में 2 महीने के बाद खोला गया. जब मंदिर को दिए दान की गिनती शुरू हुई तो हर कोई इसे जान हैरान रह गया. भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर में भक्तों ने 1 किलो वजनी सोने का बिस्किट, 23 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी, चांदी की कलाकृतियां, और कई अनूठी वस्तुएं दान की हैं.

मंदिर प्रबंधन के अनुसार, यह अब तक का सबसे बड़ा दान है, जिसमें नकद और कीमती धातुओं की गिनती अभी भी जारी है. चित्तौड़गढ़ से लगभग 40 किलोमीटर दूर यह मंदिर वैष्णव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है.

दान में पैसे और सोने का भरमार

गिनती के दौरान अब तक 23 करोड़ रुपये नकद मिले हैं, जिसमें एक 1 किलो वजन का सोने का बिस्किट भी शामिल है. इसके अलावा, छोटे सोने के बिस्किट, चांदी की पिस्तौल, चांदी की हथकड़ी, ताला-चाबी, और बांसुरी जैसी अनूठी वस्तुएं भी दान की गई हैं.

चरणों में हो रही दान की गिनती

मंदिर के खजाने की गिनती दान की भारी मात्रा के कारण कई चरणों में की जा रही है. पहले चरण में ₹11.34 करोड़ की गिनती हुई. दूसरे चरण में ₹3.60 करोड़ नकद मिले. तीसरे चरण में कुल ₹4.27 करोड़ नकद गिने गए. अब तक ₹19.22 करोड़ नकद का आंकड़ा सामने आया है, और गिनती अभी भी जारी है. गिनती प्रक्रिया को पूरा करने में 6-7 चरण लगने की संभावना है.

सांवलिया सेठ मंदिर

चित्तौड़गढ़ से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर वैष्णव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. मंदिर की स्थापना 1840 में हुई थी, जब एक दूधवाले भोलाराम गुर्जर ने भगवान कृष्ण की तीन मूर्तियों को दिव्य स्वप्न में देखने के बाद उनकी खुदाई की. इन मूर्तियों को मंडाफिया, भादसोड़ा और छापर गांवों में स्थापित किया गया.

श्री सांवलिया धाम के रूप में प्रसिद्ध

मंडाफिया में स्थित यह मंदिर श्री सांवलिया धाम के रूप में प्रसिद्ध है. यह नाथद्वारा के बाद वैष्णव अनुयायियों के बीच दूसरा सबसे पूजनीय स्थल माना जाता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, महान कवयित्री मीराबाई ने भी यहां प्रार्थना की थी.

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06 December 2024, 04:51 PM IST

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