चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, राम रहीम को शर्तों के साथ मिली पैरोल की मंजूरी, क्या होगा अगला राजनीतिक धमाका

गुरमीत राम रहीम की पैरोल को चुनाव आयोग ने शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है, लेकिन उन्हें हरियाणा में जाने और चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं होगी. उनकी पिछली पैरोल के दौरान मिली रिहाई के इतिहास को देखते हुए यह कदम राजनीतिक हलचलों को और बढ़ा सकता है. जानें कैसे इस फैसले से हरियाणा की राजनीति प्रभावित हो सकती है और राम रहीम के समर्थकों पर इसका क्या असर पड़ेगा!

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Ram Rahim parole: डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हाल ही में चुनाव आयोग ने शर्तों के साथ पैरोल देने की मंजूरी दी है. यह निर्णय उस समय आया है जब हरियाणा में विधानसभा चुनावों की तैयारियां चल रही हैं. हालांकि, इस पैरोल के दौरान राम रहीम को हरियाणा में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी और उन्हें किसी भी प्रकार के चुनाव प्रचार में शामिल होने से रोका गया है.

पैरोल की शर्तें: उल्लंघन पर रद्द होगा लाभ

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि राम रहीम पैरोल की शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो उनकी पैरोल तुरंत रद्द कर दी जाएगी. इसका मतलब है कि उन्हें न केवल हरियाणा में दाखिल होने से रोक दिया गया है, बल्कि वे सोशल मीडिया पर भी किसी चुनाव प्रचार की गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते.

राज्य सरकार की कार्रवाई

अब हरियाणा सरकार को राम रहीम की पैरोल पर आदेश जारी करना है. बताया जा रहा है कि राम रहीम जल्द ही जेल से बाहर आ सकते हैं और इस दौरान वे उत्तर प्रदेश के बागपत के बरनावा आश्रम में रहेंगे. राम रहीम ने 20 दिन की पैरोल मांगी थी और इसे आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण मुख्य चुनाव अधिकारी को भेजा गया था.

पैरोल का इतिहास: बार-बार मिली रिहाई

राम रहीम को पहले भी कई बार पैरोल या फरलो मिल चुकी है. पिछले कुछ सालों में उन्हें बार-बार पैरोल मिली है, जैसे:

24 अक्टूबर 2020: पहली बार 1 दिन की पैरोल

21 मई 2021: 12 घंटे की पैरोल

7 फरवरी 2022: 21 दिन की फरलो

जून 2022: 30 दिन की पैरोल

14 अक्टूबर 2022: 40 दिन की पैरोल

21 जनवरी 2023: छठी बार 40 दिन की पैरोल

20 जुलाई 2023: 30 दिन की पैरोल

21 नवंबर 2023: 21 दिन की फरलो

19 जनवरी 2024: 50 दिन की पैरोल

13 अगस्त 2024: 21 दिन की फरलो

बलात्कार के आरोप

दरअसल गुरमीत राम रहीम दो शिष्यों से बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा काट रहे हैं और इस समय रोहतक की सुनारिया जेल में बंद हैं. उनकी रिहाई से जुड़े मामले ने हमेशा से राजनीतिक विवादों को जन्म दिया है, खासकर जब चुनावी माहौल गरमाता है.

राजनीति और कानून का खेल

राम रहीम की पैरोल से हरियाणा की राजनीतिक स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है. देखना होगा कि चुनावों के नजदीक आने पर इस फैसले का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा.

क्या राम रहीम का यह कदम उनके समर्थकों को प्रभावित करेगा या फिर यह चुनावी राजनीति में एक नया विवाद खड़ा करेगा? गुरमीत राम रहीम की पैरोल और उसके आस-पास के घटनाक्रम ने एक बार फिर से राजनीति और कानून के खेल को सुर्खियों में ला दिया है.  First Updated : Monday, 30 September 2024