प्रेमानंद महाराज के नाम पर बन रहे फर्जी वीडियो, आश्रम ने दी सख्त चेतावनी

प्रेमानंद महाराज के नाम पर हाल ही में डीपफेक तकनीक से फर्जी वीडियो बनाए गए हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इन वीडियो में उनकी आवाज़ और उपदेशों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया है. इस पर उनके आश्रम ने सख्त चेतावनी जारी की है, जिसमें लोगों से ऐसे वीडियो बनाने, शेयर करने और समर्थन करने से बचने की अपील की गई है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते दुरुपयोग ने एक नई समस्या उत्पन्न कर दी है, और इस बार इसका शिकार हुए हैं पूज्य आध्यात्मिक गुरु स्वामी प्रेमानंद महाराज. हाल ही में सोशल मीडिया पर उनके नाम से कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें उनकी आवाज़ और उपदेशों का गलत तरीके से हेरफेर किया गया है. इन वीडियो में स्वामी जी को धार्मिक अनुष्ठानों और भक्ति उत्पादों को बढ़ावा देते हुए दिखाया गया है, जो उनके असली संदेश से मेल नहीं खाते.

इन डीपफेक वीडियो में स्वामी प्रेमानंद महाराज जी की आवाज़ का इस्तेमाल व्यावसायिक गतिविधियों और मुनाफ़े के लिए किया गया है, जिससे उनके अनुयायी भ्रमित हो गए हैं. कई लोग इन्हें असली संदेश समझकर उनका पालन कर रहे हैं, जबकि यह सामग्री पूरी तरह से कृत्रिम और गलत है.

आश्रम की तरफ से कड़ी चेतावनी

स्वामी प्रेमानंद महाराज के आश्रम, श्री हित राधा केलि कुंज परिकर ने इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाया है और एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है. नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसे वीडियो का निर्माण और प्रसार नैतिक और कानूनी दृष्टि से गलत है. आश्रम ने लोगों से अपील की है कि वे इस प्रकार की छेड़छाड़ वाली सामग्री का निर्माण न करें और न ही इसे साझा करें, ताकि स्वामी जी के असली संदेश की पवित्रता बनी रहे.

स्वामी प्रेमानंद महाराज की पहचान

स्वामी प्रेमानंद महाराज भगवान कृष्ण के प्रति अपनी गहरी भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं. उनका जीवन और उपदेश लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं. वे अपने भक्तों को शांति, भक्ति और आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं. उनकी वाणी और उपदेशों ने समाज में अपार सम्मान अर्जित किया है, और उनका संदेश धार्मिक और आत्मिक रूप से उत्थान करने वाला होता है.

डीपफेक तकनीक: एक खतरनाक उपकरण

डीपफेक तकनीक ने वीडियो और ऑडियो क्लिप्स को असली जैसा बना दिया है, जो लोगों के शब्दों और कार्यों को बदलकर जनमानस में हेरफेर कर सकती है. यह तकनीक सूचना अखंडता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करती है और इसका गलत उपयोग राजनीति, वित्तीय धोखाधड़ी और व्यक्तिगत मानहानि के लिए किया जा सकता है. स्वामी प्रेमानंद महाराज के इस मामले में डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए आश्रम द्वारा उठाए गए कदम महत्वपूर्ण हैं, ताकि उनकी पवित्र वाणी और संदेश को विकृत न किया जा सके.

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08 April 2025, 10:29 AM IST

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