किसान की मुसीबत बनी शामली शुगर मिल
उत्तर प्रदेश के शामली में शुगर मिल पिछले 3 दिनों में चार बार तकनीकी खराबी होने के कारण बंद हो चुका है, पूरे शहर में गन्नों का जाम लगा हुआ है जिससे किसानों को काफी समस्या का सामना झेलना पड़ रहा है
संवाददाता- हिमांशु शर्मा
शामली। उत्तर प्रदेश के शामली में शुगर मिल पिछले 3 दिनों में चार बार तकनीकी खराबी होने के कारण बंद हो चुका है, पूरे शहर में गन्नों का जाम लगा हुआ है जिससे किसानों को काफी समस्या का सामना झेलना पड़ रहा है। अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर 24 घंटे लाइन में लगे रहते हैं किसान शामली शुगर मिल में सत्र शुरू हुआ है लेकिन हफ्ते में चार बार तकनीकी खराबी आ चुकी है जिससे किसान को पहले तो बकाया भुगतान नहीं मिल रहा है उसके बाद शामली सुगर मिल भी किसानों के मुसीबत बनता जा रहा है।
आपको बता दें कि मामला शामली शुगर मिल का है जहां सत्र शुरू होते ही शुगर मिल शामली में चार बार तकनीकी खराबी हो चुकी है जिससे शामली शहर चक्का जाम हो गया है किसानों का कहना है ना तो सरकार किसानों का बकाया भुगतान देती है और किसानों को बुरी हालत में छोड़ देती है किसान रात रात भर अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली पर इंतजार करते रहते हैं और ना खाने को मिलता ना रहने को मिलता जिससे हमें काफी समस्या का सामना झेलना पड़ता है। किसानों को भी रात रात भर लाइनों में लगा रहना पड़ता है।
किसानों ने बताया कि उन्हें 9 घंटे लगातार लाइन में लगे हुए हो गए हैं और उनकी बारी अभी तक नहीं आई है कुछ किसान पूरी रात से अपनी ट्रॉली को लेकर लाइन में खड़े हुए हैं उन्हें खाने-पीने की और अपने काम की भी समस्याएं हो जाती हैं गांव दूर होने के कारण कोई खाना भी नहीं ला पाता है और किसान अपनी ट्रॉली छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकते हैं एक दूसरी समस्या अगर गन्ना कटाई में देरी होती है तो जो गेहूं की फसल है वह भी देरी से बोई जाएगी गन्ना कटाई के बाद जो खेत खाली होगा उसमें ही गेहूं बोया जाता है।
जब किसानों से पूछा गया कि उनका पेमेंट पिछले सत्र का अभी तक नहीं हो पाया है तो उनका कहना था कि गन्ने के अलावा शामली में और किसी भी फसल की मंडी नहीं है अगर हम दूसरी कोई फसल बोते हैं तो वह हमें जिले से बाहर हरियाणा में जाकर बेचनी पड़ती है अगर हम गन्ना मिल में नहीं डालेंगे तो हम गेहूं नहीं हो पाएंगे जिसके कारण हमारे सामने खाने की भी दिक्कत हो जाएगी किसानों का कहना है कि अगर हम गन्ना ना वह तो हमारे सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं हैं।
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