मनीष सिसोदिया पर दर्ज फीडबैक यूनिट केस तथ्यों पर नहीं पूरी तरह से कल्पना पर आधारित: राघव चड्ढा

आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित किया।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया पर 'फीडबैक यूनिट' की ओट में एक और झूठा मुकदमा किया गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) का झूठा आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने पीएम मोदी (Prime Minister Modi) और बीजेपी (BJP) के वरिष्ठ नेताओं की 2015 के बाद लगातार जासूसी कर रही है। इसके चलते उन पर सीबीआई का एक नया मुकदमा दर्ज हो गया। उन्होंने कहा कि पहले मैं केंद्र में बैठी प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार से पूछना चाहता हूं कि एक आधी स्टेट का एक आधा उप-मुख्यमंत्री पिछले 8 सालों से देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी सरकार के बड़े नेताओं की जासूसी करा रहा था। लेकिन इसकी कानों-कान खबर केंद्र सरकार, सीबीआई, ईडी, रॉ, आईबी, एनआईए जैसी देश की बड़ी एजेंसियों को नहीं मिली। अगर ऐसा होता तो सबसे बड़ा सवाल भारत की एजेंसियों और केंद्र सरकार की काबिलियत पर खड़ा होता। अगर 8 साल से कोई आपकी जासूसी करा रहा था और आपको इतने सालों तक पता नहीं लगा। ऐसे में फिर चीन और पाकिस्तान आपके साथ क्या-क्या कर रहा है? उससे आप कैसे लड़ पाएंगे? अगर किसी ने आपकी जासूसी की है तो सबसे पहले एनआईए, आईबी और रॉ के बड़े-बड़े अधिकारियों को सस्पेंड कर उनके खिलाफ कार्रवाई करें। उन्हें पकड़कर जेल में डाले और उनपर सीबीआई के मुकदमे करें। क्योंकि अगर पिछले 8 साल से कोई आपकी जासूसी कर रहा है और देश की सेंट्रल एजेंसियां पता ही नहीं लगा पा रही हैं तो वह अपना काम नहीं कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी वालों को एक हिदायत देना चाहता हूं कि आरोप ऐसे लगाओ जिनपर लोग विश्वास करें। फीडबैक यूनिट की आड़ में सीबीआई द्वारा मनीष सिसोदिया पर दर्ज की गई एफआईआर, तथ्यों पर बेस्ड नहीं है, बल्कि फिक्शन पर बेस्ड है। ये बीजेपी के अपने मन के ख्याल हैं। बीजेपी ने केवल एक ही मकसद से मनीष सिसोदिया के खिलाफ जासूसी के नाम पर एफआईआर दर्ज की है, ताकि वह जेल से बाहर ना आ पाएं। एक मुकदमे में बेल मिले तो दूसरा मुकदमा दर्ज कर दो। दूसरे मुकदमे में बेल मिले तो तीसरा मुकदमा दर्ज कर लो। मुकदमे दर्ज करके ये चीज सुनिश्चित करो कि अरविंद केजरीवाल का दाहिना हाथ मनीष सिसोदिया जेल से बाहर ना आ पाएं। इसी कवायद में पूरी केंद्र सरकार लगी है। 

राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि चीन भारत की सरजमीं पर कब्जा करने की कोशिश करता है, पाकिस्तान अपनी नापाक कोशिशें करता रहता है, लेकिन हमारी जांच एजेंसियां मनीष सिसोदिया को पकड़ कर जेल में डालती हैं। चीन और पाकिस्तान से कैसे लड़ाई लड़नी है और इनसे कैसे निपटना है, उस पर हमारी एजेंसियों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। देश की राजधानी में बैठा कोई शख्स, जिसके पास ना पुलिस, न एंटी करप्शन ब्यूरो, न विजिलेंस विभाग और ना ही कोई शाखा है। अगर वो फिर भी 8 साल तक प्रधानमंत्री और बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं की फीडबैक यूनिट के नाम से जासूसी कर आ रहा तो क्या हमारे देश की इंटेलिजेंस एजेंसी सो रही थीं? क्या एनआईबी और तमाम इंटेलिजेंस एजेंसी इतनी निकम्मी है कि एक शख्स 8 साल तक देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति की जासूसी करता रहा? उनको पता भी नहीं चला। अगर यह संभव है तो भारत की राष्ट्र सुरक्षा पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है। अगर संभव नहीं है तो यह भारतीय जनता पार्टी की बौखलाहट दिखाता है कि कोई भी फर्जी मुकदमा मनीष सिसोदिया पर करो ताकि वह जेल से ना निकल पाएं। तथाकथित एक्सरसाइज घोटाले के मामले में भी बीजेपी की एजेंसियों के पास ना सबूत हैं, ना गवाह और ना ही मनीष सिसोदिया जी से पूछने के लिए सवाल है। वही चार सवाल रोजाना बदल-बदल कर पूछते हैं। लेकिन जांच की आड़ में मनीष सिसोदिया को जेल में रखा है, ताकि वह बाहर निकल पाए। 

उन्होंने कहा कि बीजेपी अपनी जांच एजेंसियों का ध्यान आम आदमी पार्टी और मनीष सिसोदिया से हटाकर उन लोगों पर डाले जो लोग उनके नाम का इस्तेमाल करके भारत की सुरक्षा एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में हमने देखा कि गुजरात के भारतीय जनता पार्टी के एक साधारण कार्यकर्ता किरन भाई पटेल ने खुद को प्रधानमंत्री ऑफिस का एडिशनल डायरेक्टर बताया और पिछले 6 महीने से कश्मीर में रह रहा था। उन्हें कश्मीर की स्थानीय एडमिनिस्ट्रेशन ने Z + की सिक्योरिटी दी। उनके साथ 2-2 जैमर, 4-4 बुलेट प्रूफ गाड़ियां और 50 गनमैन चलते थे। वह फाइव स्टार होटल में रहकर सुरक्षा विभाग की मीटिंग बुला रहे थे और IAS-IPS ऑफिसर को ट्रांसफर करा रहे थे। पिछले 6 महीने से कश्मीर में सरकारी पैसे से सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करते हुए मौज-मस्ती कर रहे थे। उनकी यह करने की एक ही काबिलियत थी कि वह गुजरात इकाई के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता थे। अगर बीजेपी को जांच करनी है तो इस तरह की जासूसी की कीजिए। ऐसा शख्स जिसने हमारी जम्मू-कश्मीर की पुलिस और सिक्योरिटी फोर्सेज के चक्रव्यू को भेद दिया। लेकिन बीजेपी उसकी जांच नहीं करती है, क्योंकि वह गुजरात का बीजेपी का कार्यकर्ता है।

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18 March 2023, 04:33 PM IST

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