जयपुर ब्लास्ट केस में चार दोषियों को उम्रकैद, 17 साल बाद मिला इंसाफ
13 मई 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने पूरे देश को हिला दिया था. इन धमाकों में 71 लोगों की मौत हुई और 185 घायल हुए थे. करीब 17 साल बाद इस मामले में अदालत ने चार दोषियों सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान और शाहबाज को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इस फैसले में 600 पेज का विस्तृत निर्णय दिया.

जयपुर में 13 मई 2008 को हुए सिलसिलेवार धमाकों ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इन धमाकों में 71 लोगों की जान गई थी और 185 लोग घायल हुए थे. अब 17 साल बाद अदालत ने इस मामले में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट का यह फैसला न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
मंगलवार को कोर्ट ने सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान और शाहबाज को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 600 पन्नों का फैसला सुनाया. कोर्ट ने इन चारों को 2008 के जयपुर ब्लास्ट में शामिल पाए जाने के बाद दो दिन पहले दोषी ठहराया था.
धमाकों से दहला था जयपुर
13 मई 2008 की शाम जयपुर के सबसे व्यस्त और ऐतिहासिक इलाकों में एक के बाद एक आठ धमाके हुए थे. ये धमाके माणक चौक खांडा, चांदपोल गेट, बड़ी चौपड़, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, जौहरी बाजार और सांगानेरी गेट जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए. वहीं नौवां बम चांदपोल बाजार के गेस्ट हाउस के पास मिला था, जिसे धमाके से 15 मिनट पहले डिफ्यूज़ कर दिया गया था.
कोर्ट का सख्त फैसला
इस केस में अदालत ने कुल 112 गवाह, 1192 दस्तावेज़, 102 जब्त चीज़ें और 125 पेज की लिखित बहस के आधार पर फैसला सुनाया. अदालत ने सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान और शाहबाज को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई.
पहले आया था फांसी का फैसला
इससे पहले दिसंबर 2019 में निचली अदालत ने सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सलमान और सैफुर्रहमान को मौत की सजा सुनाई थी. वहीं पांचवें आरोपी शाहबाज को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था. चारों दोषियों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. मार्च 2023 में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सभी चारों को बरी कर दिया था और शाहबाज की बरी करने की फैसले को भी बरकरार रखा था.
मौत और तबाही की वो शाम
2008 की उस मनहूस शाम को हुए धमाकों में 71 लोगों की जान चली गई थी और करीब 185 लोग घायल हुए थे. रामचंद्र मंदिर के पास से एक ज़िंदा बम भी मिला था जिसे बम डिस्पोजल स्क्वॉड ने समय रहते निष्क्रिय कर दिया. जयपुर बम ब्लास्ट केस में आए इस फैसले को पीड़ितों के लिए देर से मिला न्याय माना जा रहा है. कोर्ट के इस कठोर कदम से ऐसे मामलों में न्याय व्यवस्था की गंभीरता और संवेदनशीलता एक बार फिर सामने आई है.