Ghazipur: गाजीपुर के नंदगंज थाना क्षेत्र में एक सिपाही की शिकायत पर IPS अधिकारी समेत 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ है. ये मुकदमा उन पुलिसकर्मियों पर है जो 2021 में एक सिपाही द्वारा की गई भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद बदले की भावना से उस पर हमलावर हो गए थे. इस मामले में चंदौली जिले के पूर्व एसपी अमित कुमार, कोतवाल, दारोगा और कई सिपाही शामिल हैं.
क्या था मामला?
साल 2021 में चंदौली जिले में तैनात सिपाही अनिल कुमार सिंह ने पुलिस महकमे में हो रही अवैध वसूली का भंडाफोड़ किया था. अनिल ने वसूली की लिस्ट को वायरल किया, जिससे मामला सामने आया. डीआईजी विजिलेंस ने इस मामले की जांच की और सिपाही के आरोपों को सही पाया. इसके बाद, सिपाही की शिकायत पर वह खुद ही पुलिस महकमे के निशाने पर आ गया. आरोप है कि सिपाही ने जब भ्रष्टाचार का खुलासा किया, तो उसे बर्खास्त कर दिया गया और उसके बाद कई पुलिसकर्मियों ने बदले की भावना से उसे परेशान करना शुरू कर दिया.
सिपाही ने अपहरण की कोशिश का भी आरोप लगाया
सिपाही अनिल कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि, जब उसने भ्रष्टाचार की शिकायत की, तो रसूखदार अफसरों ने उसे डराने-धमकाने के लिए चार लोगों की हत्या करवाई और उसका खुद का अपहरण करने की कोशिश की. जुलाई 2021 में ससुराल से उसका अपहरण करने की असफल कोशिश की गई थी. इस घटना के बाद अनिल ने नंदगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के लिए तहरीर दी, लेकिन उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
अंत में हाईकोर्ट का हस्तक्षेप, एफआईआर हुई दर्ज
जब सिपाही की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट के आदेश पर ही मामला फिर से खुला और 27 नवंबर को नंदगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई. कोर्ट के आदेश के बाद ही ये कार्रवाई हुई, जब तीन साल तक पुलिस इस मामले में कोई कदम नहीं उठा रही थी.
अपराधी पुलिसकर्मी कौन-कौन?
गाजीपुर पुलिस के खिलाफ दर्ज इस मुकदमे में आईपीएस अमित कुमार, कोतवाल, दारोगा, इंस्पेक्टर और कई सिपाहियों के नाम शामिल हैं. आरोप है कि ये सभी पुलिसकर्मी सिपाही अनिल को डराने और उसे फर्जी आरोपों में फंसाने की कोशिश कर रहे थे. इसके साथ ही, इन लोगों ने सिपाही के ऊपर हमले और अपहरण जैसी घटनाओं को अंजाम दिया.
क्या है इस मामले की गंभीरता?
यह मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि पुलिस विभाग के अंदर के संगठित अपराध का भी है. सिपाही अनिल ने जो वसूली का भंडाफोड़ किया, वह एक बड़ी रकम—12.5 लाख रुपये प्रति माह की वसूली थी. इस घटना ने यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली और उसके अंदर के भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है. अब जब कोर्ट ने इस पर कार्रवाई का आदेश दिया है, तो पूरे मामले की गंभीरता सामने आ रही है.
क्या आगे होगा?
अब देखना यह होगा कि पुलिस विभाग के इन बड़े अधिकारियों पर आगे क्या कार्रवाई होती है. क्या यह मामला अन्य विभागों और अफसरों के लिए एक उदाहरण बनेगा कि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार या हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा? इस केस के आने से पुलिस के अंदर के गहरे राज़ भी बाहर आ रहे हैं, जिनका असर यूपी पुलिस के सभी अफसरों पर हो सकता है. First Updated : Thursday, 28 November 2024